Dev Deepawali: सर्वार्थ सिद्धि योग में गंगा स्नान और तटों पर देव दीपावली मनाने की है तैयारी
कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान के लिए सुबह से श्रद्धालुओं की भीड़ तटों पर उमड़ती है। यहां पर दीपदान करके भक्त सुख समृद्धि और निरोगी की कामना करेंगे। गंगा तटों पर दीपमाला प्रज्जवलित करके देव दीपावली मनाने की तैयारी पूरी कर ली गई है।
कानपुर, जेएनएन। हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व होता है। इस दिन भगवान का स्मरण करते हुए स्नान व पूजन करने से समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इस बार यह पुण्यकारी दिन सर्वार्थ सिद्धि योग व रोहिणी नक्षत्र में है। कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है। गुरुवार को भोर पह गंगा नदी में स्नान करने से पूरे वर्ष का स्नान करने का फल मिलता है।
शकुंतला शक्तिपीठ के आचार्य अमरेश मिश्र ने बताया कि 30 नवंबर को रोहिणी नक्षत्र के साथ सर्वसिद्धि योग एवं वर्धमान योग का संयोग बनने से कार्तिक पूर्णिमा पर महायोग होगा। सिखों में इसी दिन सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक जी का 551वां जन्मदिन भी मनाया जाएगा। इस दिन पोखर, सरोवर या नदी में स्नान करने से सहस्त्र फल की प्राप्ति होती है। प्रात: जो भक्त त्रिपुर सुदंरी माता लक्ष्मी के रूप का स्मरण कर पूजन करेगा। उसे अनंत फल की प्राप्ति होगी। कार्तिक पूर्णिमा के दिन तुलसी के समीप तथा तालाब में सरोवर में गंगा तट पर 16 दीप जलाने से अथवा दीप दान करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होकर सुख समृद्धि का वरदान देती हैं।
वही विष्णु को तुलसी पत्र की माला और गुलाब का फूल चढ़ाने से मन की सारी मुरादें पूरी होती हैं। कार्तिक पूर्णिमा के दिन प्रतिवर्ष शहर के प्रमुख गंगा घाटों पर देव दीपावली का आयोजन भक्तों द्वारा किया जाता है। इस दिन विभिन्न धार्मिक संस्थाएं देवोत्सव मनाकर वातावरण को भक्तिमय स्वरूप प्रदान करती हैं। हालांकि इस बार कोविड के बढ़ते असर के चलते सबकुछ गाइड लाइन पर निर्भर करेगा। भक्त प्रभु से कोविड की समाप्ति की कामना करेंगे।