..और टेफ्को कॉलोनी में रहने वालों का गरीबी में गीला हो गया आटा
सेवाओं के बदले ली जा रही मोटी रकम, टेफ्को कालोनी के आसपास महंगे हुए किराए के मकान
जागरण संवाददाता, कानपुर : समय रहते न चेत पाने का खामियाजा टेफ्को कालोनी में रहने वालों को अंतत: भुगतना पड़ रहा है। चार दिन पहले तक जो काम बेहद कम दामों पर हो रहा था, वहां उन्हें मोटी रकम खर्च करनी पड़ी। इसे ही कहते हैं गरीबी में आटा गीला होना।
बढ़ गया लोडर का माल भाड़ा
आमतौर पर घरेलू सामान ढोने वाले छोटा हाथी मुख्य शहर के अंदर 400 रुपये का किराया लेता है। बड़े लोडर का किराया एक हजार रुपये तक है। लेकिन बदले माहौल में लोडर चालकों ने छोटे हाथी के 800 रुपये और बड़े लोडर के 1800 रुपये तक लिए। अधिक दूरी पर यह किराया और बढ़ गया। पूरे दिन करीब 600 लोडर सामान ढोने में लगे रहे। पूरी कॉलोनी में लोडर ही लोडर नजर आ रहे थे। जिन्हें लोडर नहीं मिला, उन्होंने ई रिक्शा का सहारा लिया।
ढूढ़े नहीं मिले प्लंबर और इलेक्ट्रीशियन
घरेलू सामान हटाने के लिए प्लंबर व इलेक्ट्रीशियनों की भी भारी मांग रही। आमतौर पर जिस काम के 100 रुपये लगते थे, उसके लिए 150 रुपये लिए गए। इसके बावजूद प्लंबर और इलेक्ट्रीशियन ढूढ़े नहीं मिले। कई स्थानों पर तो लोग मुंह मांगे दाम देने को तैयार थे।
600 रुपये में मिला मजदूर
सामान ढुलाई में लगने वाले मजदूरों की भी चांदी रही। 350 रुपये की दिहाड़ी वाले मजदूरों ने 500 से 600 रुपये वसूले। हालात यह रहे कि इसके बावजूद मजदूरों की कमी रही। जिन्हें मजदूर नहीं मिले या वह इतने मंहगे मजदूर नहीं कर सकते थे उन्होंने खुद ही लोडर पर सामान लादा।
कबाड़ियों ने कबाड़ के भाव खरीदा सामान
जल्दबाजी में सामान निकालने की गरज में कॉलोनी वाले बड़े पैमाने पर सामान नहीं ले जा सके। बड़ी मात्रा में सामान कबाड़ में बेचा। सुबह पहले तो कबाड़ियों ने रोजाना दाम पर ही सामान खरीदे, लेकिन दोपहर आते-आते कबाड़ियों ने भी दाम गिरा लिए। कबाड़ियों ने औने-पौने दाम पर सामान खरीदा।