कई बैंकों के विलय होने से लोगों के सामने आ रहीं इस तरह की समस्याएं, बैंक अधिकारियों ने बताया Solution
एक अप्रैल 2020 को 10 बैंकों का विलय कर चार बैंक बने थे। वर्ष 2021 की शुरुआत तक विलय हो चुके बैंकों की शाखाओं के पुराने आइएफएससी ही चलते रहे लेकिन फरवरी व मार्च में विलय हो चुकी शाखाओं को नए कोड दिए गए।
कानपुर, जेएनएन। किदवई नगर की रेनू मिश्रा की मार्च में आने वाली पेंशन रुक गई। वह कोषागार गईं तो बताया गया कि उनके बैंक का इंडियन फाइनेंशियल सिस्टम कोड (आइएफएससी) अपडेट नहीं है, इसलिए पेंशन नहीं जा रही है। इसके बाद उन्होंने विलय हुई बैंक शाखा का नया कोड कोषागार में दिया तो उनकी पेंशन जारी हो सकी। अकेले रेनू ही नहीं, बड़ी संख्या में सेवानिवृत्त जिनकी पेंशन कोषागार के जरिए आती है और उनके बैंक का विलय हो गया, उन्हेंं यह समस्या इस वर्ष मार्च में आई।
एक अप्रैल 2020 को 10 बैंकों का विलय कर चार बैंक बने थे। वर्ष 2021 की शुरुआत तक विलय हो चुके बैंकों की शाखाओं के पुराने आइएफएससी ही चलते रहे, लेकिन फरवरी व मार्च में विलय हो चुकी शाखाओं को नए कोड दिए गए। नए कोड आते ही लोगों ने जहां जहां भी अपने पुराने कोड लगा रखे थे, वहां उनका काम अटक गया। कोषागार से पेंशन देने में भी यह कोड लिखा जाता है।
अगर किस्तों पर कोई सामान लिया जाता है तो वहां क्रास चेक के साथ यह कोड लिखा जाता है। इसलिए जहां पेंशन रुकी वहीं जिन लोगों ने सामान लिया था, उनकी किस्तें जाना बंद हो गईं। किस्तें न जाने से लोगों की आगे के लोन के लिए सिविल भी खराब हो गई। जब किस्त जमा न होने पर लोगों के पास फोन आने शुरू हुए तो उन्होंने अपने कोड दोबारा फाइनेंस करने वाली कंपनी में सही कराए।
यह है सिबिल : क्रेडिट इनफार्मेशन ब्यूरो ऑफ इंडिया लिमिटेड को सिबिल कहते हैं। इसके पास देश भर में किसी भी बैंक या वित्तीय संस्थान से लिए गए ऋण के बारे में जानकारी होती है। उसकी किस्तें कैसे और कब चुकाई गईं। इसकी भी जानकारी उसके पास रहती है। सबके पैन और आधार की जानकारी इसके पास होती है। जो लोग नियमित रूप से अपने ऋण की किस्तें चुकाते हैं और जो लोग समय से ऋण नहीं चुकाते हैं, उनके स्कोर भी यह देता रहता है। इसलिए जब किसी बैंक या वित्तीय संस्थान से ऋण लिया जाता है तो वह सिबिल स्कोर देखते हैं। उसके आधार पर ही उसे ऋण दिया जाता है। जिनका सिबिल स्कोर खराब होता है, कई बार बैंक उनको ऋण देने से भी मना कर देती हैं।
इनका ये है कहना
- आइएफएससी बदलने से बहुत से लोगों को परेशान होना पड़ा। लोगों की लोन की किस्त रुक गईं। जिनकी बीमा पॉलिसी मेच्योर हो गई, उनका भी भुगतान नहीं आ सका। जिन खाताधारकों की बैंकों का विलय हुआ है, वे नई चेकबुक, पासबुक ले लें। जहां भी उनके आइएफएससी कोड दर्ज हैं, उसे सही करा लें।
आशीष मिश्रा, राष्ट्रीय महामंत्री यूनाइटेड फोरम ऑफ वी बैंकर्स