वसीम अली ने कबूला फर्जीवाड़े का सच, अशिक्षतों को पढ़ा लिखा बना उठाता था विभागीय कमजोरी का फायदा
कानपुर की क्राइम ब्रांच की टीम ने पासपोर्ट बनवाने के लिए फर्जी प्रमाणपत्र बनाने वाले वसीम अली को गिरफ्तार करके जालसाजी के बारे में पता लगाना शुरू किया है। वसीम अबतक पासपोर्ट विभाग की कमजोर कड़ी का फायदा उठा रहा था।

कानपुर, जागरण संवाददाता। टूर एंड ट्रैवेल्स का संचालन करने वाले वसीम अली का जालसाजी का नेटवर्क कितना बड़ा था, यह तो जांच के बाद ही सामने आ सकेगा, लेकिन पुलिस पूछताछ में उसने पासपोर्ट बनवाने में केवल शैक्षिक प्रमाणपत्रों में गोलमोल करने की जानकारी दी है। उसने बताया कि पासपोर्ट बनने की प्रक्रिया में वह केवल शैक्षिक प्रमाणपत्रों में ही हेराफेरी करता था, क्योंकि उसकी कहीं कोई चेकिंग नहीं है और खाड़ी देशों में जाने वालों के लिए शैक्षिक योग्यता ही वेतन का आधार है।
आरोपित ने पुलिस को बताया कि पहले आवेदन के बाद जब सत्यापन के लिए प्रपत्र थाने जाते थे तो हर तरह के दस्तावेजों का पुलिस सत्यापन करती थी। मगर इधर एक-दो सालों से बदले नियमों के तहत थाना पुलिस को केवल दो मामलों में जांच के लिए कहा जाता है। पुलिस निवास प्रमाणपत्र की सत्यता की जांच करने और आपराधिक रिकार्ड की जानकारी मांगती है। इसके लिए पुलिस करीब एक महीने का समय लगाती थी, जबकि अब पांच दिनों में ही आवेदन पर रिपोर्ट लगाकर आनलाइन भी भेजनी होती है। अन्य दस्तावेजों की जांच पासपोर्ट कार्यालय ही करता है। बताया जा रहा है कि पासपोर्ट विभाग भी इनका सत्यापन नहीं करता। थाने की रिपोर्ट मिलते ही पासपोर्ट जारी कर दिया जाता है।
वसीम ने पुलिस को बताया कि खाड़ी देशों में शैक्षिक योग्यता के हिसाब से नौकरी और वेतन तय होता है। इसीलिए लोग शैक्षिक दस्तावेजों के लिए उसके पास आते थे। वह अनपढ़ों को हाईस्कूल पास और कम पढ़े-लिखों को ग्रेजुएट का जाली अंकपत्र बनाकर पासपोर्ट आवेदन में लगा देता। अन्य दस्तावेज असली होते, इसीलिए बिना किसी दुविधा के बन जाते। आवेदक देखकर आठ से 30 हजार रुपये तक वसूल करता था।
Edited By Abhishek Agnihotri