...तो इस वजह से बच गई 2100 यात्रियों की जान, जानें क्या है एलएचबी कोच की खासियत
एलएचबी कोच हादसे की विभीषिका को कम करता है।
By AbhishekEdited By: Published: Sat, 20 Apr 2019 10:42 AM (IST)Updated: Sat, 20 Apr 2019 09:18 PM (IST)
कानपुर, जेएनएन। पूर्वा एक्सप्रेस में एलएचबी (लिंक हॉफमैन बुश) कोच लगे थे, जो सुरक्षा मानकों के हिसाब से पूर्व में लगने वाले आइसीएफ (इंटीग्र्रेटेड कोच फैक्ट्री) कोच की अपेक्षा कहीं अधिक सुरक्षित हैं। इसी वजह से शुक्रवार देर रात जब हादसा हुआ तो यात्रियों को ज्यादा गंभीर चोटें नहीं आई।
रेलवे अधिकारियों ने बताया एलएचबी कोच हादसे की विभीषिका को कम करता है। इसकी डिजाइन इस तरह की है कि अंदर मौजूद यात्रियों को कम से कम चोट आए। जबकि पूर्व में आइसीएफ कोचों के कारण हादसे की गंभीरता बढ़ जाती थी। एलएचबी कोच होने के कारण ही गिरने के बाद कोच फटे नहीं।
एलएचबी कोच ज्यादा सुरक्षित
भारत में चलने वाली कई ट्रेनों में पुरानी तकनीक वाले आइसीएफ कोच लगे हैं। इस वजह से यदि ट्रेन पटरी से उतरती है तो हादसे में ज्यादा मौतें होती थीं। इसके चलते रेलवे ने लिंक हॉफमेन बुश कोच का निर्माण कराया था। ये एलएचबी कोच अब कई महत्वपूर्ण ट्रेनों में लगाए जा चुके हैं, इनमें से एक पूर्वा एक्सप्रेस भी है। एलएचबी कोच अधिक सुरक्षित है और इसमें हादसे के समय जान माल का खतरा कम रहता है। इसी वजह से रफ्तार में चल रही पूर्वा एक्सप्रेस रूमा में पटरी से उतरी तो बड़ा हादसा टल गया। ट्रेन में सवार करीब 2100 यात्रियों की जान बच गई। हादसे में जो घायल भी हुए उन्हें भी बहुत गंभीर चोट नहीं आई।
क्या होता है लिंक हाफमेन बुश
रिसर्च डिजाइन्स ऐंड स्टैंडर्ड्स ऑर्गनाइजेशन ने ऐसे कोच बनाए, जो आपस में टकरा न सकें। इन्हें लिंक हॉफमेन बुश (एलएचबी) कोच कहा गया था। आपस में टकराव रोधी कोच का आलमनगर में सफल परीक्षण किया गया था। परीक्षण में जो खामियां सामने आई थी, उसके बाद डिजाइन में सुधार भी किया था।
एक दूसरे पर नहीं चढ़ते हैं कोच
ट्रेन में एलएचबी कोचों और सीबीसी कपलिंग होने से पलटने और एक दूसरे पर चढऩे की गुंजाइश नहीं रहती है। सीबीसी कपलिंग की सबसे बड़ी खासियत यह है कि अगर ट्रेन डिरेल भी होती है तो कपलिंग के टूटने की आशंका नहीं होती है और एक दूसरे चढऩे की आशंका समाप्त हो जाती है। एलएचबी कोच उच्च स्तरीय तकनीक से लैस है। इन कोचों में बेहतर एक्जावर का उपयोग होने से आवाज भी कम आती है। पटरियों पर दौड़ते समय अंदर सवार यात्रियों को ट्रेन के चलने की आवाज बहुत धीमी समझ आती है।
स्टेनलेस स्टील से निर्मित कोच और पावर ब्रेक
एलएचबी कोच स्टेनलेस स्टील से बनाए गए हैं। कोच के अंदर की डिजाइन एल्युमीनियम की है, जिससे कि यह कोच थोड़े हल्के भी हैं। कोचों में डिस्क ब्रेक कम समय व कम दूरी में अच्छे ढंग से रोकने की क्षमता रखते हैं। शाक एक्जावर की वजह से झटकों का एहसास भी कम होता है।
यह भी पढ़ें :कानपुर में पूर्वा एक्सप्रेस की नौ बोगी पलटी, किसी की मौत नहीं, पांच दर्जन घायल
यह भी पढ़े :कपलिंग टूटना मानी जा रही हादसे की वजह
यह भी पढ़े :बोगियां पलटते ही बर्थ से एक दूसरे के ऊपर जा गिरे यात्री
रेलवे अधिकारियों ने बताया एलएचबी कोच हादसे की विभीषिका को कम करता है। इसकी डिजाइन इस तरह की है कि अंदर मौजूद यात्रियों को कम से कम चोट आए। जबकि पूर्व में आइसीएफ कोचों के कारण हादसे की गंभीरता बढ़ जाती थी। एलएचबी कोच होने के कारण ही गिरने के बाद कोच फटे नहीं।
एलएचबी कोच ज्यादा सुरक्षित
भारत में चलने वाली कई ट्रेनों में पुरानी तकनीक वाले आइसीएफ कोच लगे हैं। इस वजह से यदि ट्रेन पटरी से उतरती है तो हादसे में ज्यादा मौतें होती थीं। इसके चलते रेलवे ने लिंक हॉफमेन बुश कोच का निर्माण कराया था। ये एलएचबी कोच अब कई महत्वपूर्ण ट्रेनों में लगाए जा चुके हैं, इनमें से एक पूर्वा एक्सप्रेस भी है। एलएचबी कोच अधिक सुरक्षित है और इसमें हादसे के समय जान माल का खतरा कम रहता है। इसी वजह से रफ्तार में चल रही पूर्वा एक्सप्रेस रूमा में पटरी से उतरी तो बड़ा हादसा टल गया। ट्रेन में सवार करीब 2100 यात्रियों की जान बच गई। हादसे में जो घायल भी हुए उन्हें भी बहुत गंभीर चोट नहीं आई।
क्या होता है लिंक हाफमेन बुश
रिसर्च डिजाइन्स ऐंड स्टैंडर्ड्स ऑर्गनाइजेशन ने ऐसे कोच बनाए, जो आपस में टकरा न सकें। इन्हें लिंक हॉफमेन बुश (एलएचबी) कोच कहा गया था। आपस में टकराव रोधी कोच का आलमनगर में सफल परीक्षण किया गया था। परीक्षण में जो खामियां सामने आई थी, उसके बाद डिजाइन में सुधार भी किया था।
एक दूसरे पर नहीं चढ़ते हैं कोच
ट्रेन में एलएचबी कोचों और सीबीसी कपलिंग होने से पलटने और एक दूसरे पर चढऩे की गुंजाइश नहीं रहती है। सीबीसी कपलिंग की सबसे बड़ी खासियत यह है कि अगर ट्रेन डिरेल भी होती है तो कपलिंग के टूटने की आशंका नहीं होती है और एक दूसरे चढऩे की आशंका समाप्त हो जाती है। एलएचबी कोच उच्च स्तरीय तकनीक से लैस है। इन कोचों में बेहतर एक्जावर का उपयोग होने से आवाज भी कम आती है। पटरियों पर दौड़ते समय अंदर सवार यात्रियों को ट्रेन के चलने की आवाज बहुत धीमी समझ आती है।
स्टेनलेस स्टील से निर्मित कोच और पावर ब्रेक
एलएचबी कोच स्टेनलेस स्टील से बनाए गए हैं। कोच के अंदर की डिजाइन एल्युमीनियम की है, जिससे कि यह कोच थोड़े हल्के भी हैं। कोचों में डिस्क ब्रेक कम समय व कम दूरी में अच्छे ढंग से रोकने की क्षमता रखते हैं। शाक एक्जावर की वजह से झटकों का एहसास भी कम होता है।
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