पाकिस्तान जेल से रिहा हुए बांदा के दो मछुवारे, फोन से घर पर खबर पहुंचते ही खुशी की लहर
जिले के दो मछुवारे पाकिस्तान की जेल से रिहा हुए हैं। घर पर खबर पहुंचते ही स्वजन खुशी से उछल पड़े। दोनों के जल्द घर पहुंचने की उम्मीद है। तिंदवारी थाना क्षेत्र के जसईपुर गांव निवासी रामविशाल कुशवाहा का बेटा विवेक और अजीतपारा के बच्ची लाल को छोड़ा गया है।
बांदा, जागरण संवाददाता। गुजरात के ओखा से मछली पकडऩे समुद्र में उतरे जिले के चार मछुवारे पाकिस्तानी जेल से रिहा हो गए हैं। यह करीब पांच साल पहले घर से मजदूरी के लिए गए थे। बुधवार की रात जैसे ही घर के लाडलों की आवाज स्वजन ने सुनी तो खुशी से रो दिए। फोन कर बताया कि वह लोग जल्द घर पहुंचेंगे। पाक की जेल से छूटने वालों में तिंदवारी के जसईपुर, सिंघौली, बिसंडा के अजीतपारा और चिल्ली के महेदू गांव के युवक शामिल हैं।
जिले के दो मछुवारे पाकिस्तान की जेल से रिहा हुए हैं। घर पर खबर पहुंचते ही स्वजन खुशी से उछल पड़े। दोनों के जल्द घर पहुंचने की उम्मीद है। तिंदवारी थाना क्षेत्र के जसईपुर गांव निवासी रामविशाल कुशवाहा को बेटा विवेक नवंबर 2017 में गुजरात के ओखा से समुद्र में साथियों के साथ मछली पकड़ने गया था, तभी पाकिस्तान की सीमा में प्रवेश करने पर पकड़ लिया गया था। पिता ने बताया कि बुधवार की रात बेटे विवेक ने बताया कि वह रिहा हो गया है और जल्द घर लौटेगा। इधर, बिसंडा थाना क्षेत्र के अतीजपारा गांव निवासी रामसेवक का बेटा बच्ची लाल अनुरागी भी उसी के साथ मछली पकड़ने गया था, जो पकड़ लिया गया था। वह भी रिहा हो गया है। पत्नी कलावती ने बताया कि पांच साल बाद पति के लौटने की आस जगी है।
जसईपुर गांव निवासी रामविशाल कुशवाहा ने बताया कि उनका बेटा विवेक नवंबर 2017 को गुजरात से सटे समुद्री इलाकों में मछली पकडऩे के दौरान पाकिस्तान जलसेना द्वारा साथी मछुआरों समेत बंदी बना लिया गया था । विवेक कई सालों बाद रिहा हुआ है। बुधवार की रात पुत्र विवेक का फोन आया कि वह पाकिस्तान की जेल से रिहा हो गया है। बेटे की आवाज सुनकर उनका मन खुशी से झूम उठा। बताया कि एक लंबे अरसे बाद कराची की जेलों से छूटे बेटे देश की सरहद में वापस लौटने ऐसी खुशी है। जिसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है। रामविशाल कहते हैं कि बेटे विवेक के साथ बाबू सिंघौली, चुनकू महोबा लिलवाही गांव, राजू महेदू, बच्ची लाल बेलगांव भी पाकिस्तानी कैद से मुक्त हुए हैं। विवेक तीन भाइयों में सबसे छोटा और अविवाहित है। बड़ा बेटा रवींद्र दिल्ली में काम करता है, जबकि व मछला गोविंद फतेहपुर में ईट भठ्ठे में काम कर रहा है। वह गांव में मेहनत मजदूरी करते हैं।
बुधवार देर रात आए एक फोन ने अजीतपारा निवासिनी कलावती की दुनिया बदल दी। पांच साल से जिस पति के सुरक्षित होने और घर लौटने की मन्नत मांग रही थी, उसकी आवाज सुनाई दी। आंख के आंसू पोछते हुए बताया कि मोबाइल की घंटी बजी तो फोन उठाया। दूसरी तरफ से आवाज आई, हलो पहचाना, मैं बच्ची लाल बोल रहा हूं। जेल से छूट गया हूं, जल्द लौटूंगा। इतना सुनने के बाद उसकी आंख से झरझर आंसू बहने लगे। कलावती ने बताया कि पांच साल पहले गांव के ही रज्जू कुशवाहा के साथ उसके पति मछली पकडऩे के काम से गए थे। एक माह बाद रज्जू के घर वालों से पता चला कि सभी लोग समुद्र में पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा पकड़ लिए गए हैं। उसके बाद से वह पति के लौटने का इंतजार कर रही थी। उसके बाद से किसी तरह का संदेशा नहीं मिला, ना पति से बात हुई। करीब दो साल बाद रज्जू लौट आया, बताया कि बच्ची लाल अभी पाक जेल में ही बंद हैं। तबसे अकेले घर में रहकर दिन-रात बच्चों के पालन पोषण के लिए सोचती रहती थी। मेरे तीन लड़कियां और एक लड़का है। पूनम 15 वर्ष, राधा 13 वर्ष, रोशनी 10 वर्ष और छह साल का बेटा अमर है। गांव में ही मजदूरी करके इनका पालन-पोषण करती रही। आर्थिक स्थिति के चलते बच्चों की पढ़ाई नहीं करा सकी। दो बीघा जमीन थी, वह भी बच्चों के बीमारी के चलते गिरवी रख दी थी। किसी भी प्रकार का आज तक कोई मुझे सरकारी योजनाओं का लाभ आवास व शौचालय नहीं मिला। ससुर रामसेवक की 15 वर्ष पहले मृत्यु हो गई थी, सास दूजिया 10 वर्ष पहले बीमारी के चलते दुनिया छोड़ गई थीं।
बिलावल में हूं, जांच हो रही है
कलावती ने बताया कि पति ने बताया कि वह पंजाब के बिलावल में हैं। जांच होने के बाद ओखा जाऊंगा, जल्द घर लौटूंगा। बच्चे बार-बार एक ही सवाल करते हैं, पापा कब आएंगे, अब तो खुशी के आंसू के बीच जल्द आने की बात कहती हूं।