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पाकिस्तान में जमा कारोबार और आलीशान घर छोड़ फुटपाथ पर गुजरीं कई रातें, अब हैं सबसे बड़े साइकिल स्टोर के मालिक

बंटवारे के बाद पाकिस्तान में जमा जमाया कारोबारी और आलीशान घर सबकुछ छोड़कर सरदार अंशवीर सिंह का परिवार भारत आ गया था। अमृतसर में फुटपाथ पर दुकानें लगाकर रातें गुजारीं और अब मेहनत व लगन से मुकाम हासिल करके मिसाल बन गए हैं।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Thu, 11 Aug 2022 05:59 PM (IST)Updated: Thu, 11 Aug 2022 05:59 PM (IST)
पाकिस्तान में जमा कारोबार और आलीशान घर छोड़ फुटपाथ पर गुजरीं कई रातें, अब हैं सबसे बड़े साइकिल स्टोर के मालिक
पाकिस्तान से आए सरदार अंशवीर सिंह के संघर्ष की कहानी।

कानपुर, [ऋषि दीक्षित]। मूलरूप से पाकिस्तान के झेलम जिले के रहने वाले सरदार अंशवीर सिंह निडर आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। शहर में इनके दो बड़े साइिकल स्टोर हैं। दर्जनों लोगों को रोजगार देकर सहारा बने हुए हैं।

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समृद्धि के पथ पर अग्रसर हैं लेकिन इतिहास के पन्नों को पलटते हैं तो इनकी आंखें नम हो जाती हैं। परिवार ने 1947 में देश के विभाजन का जो दर्द झेला उसकी कहानियां सुनकर बड़े हुए। वह बड़े गर्व से कहते हैं कि उनके पिता, स्वयं व उनके भाई ने अपने पुरुषार्थ के बल पर सब कुछ हासिल किया है।

अंशवीर बताते हैं कि पाकिस्तान से जान बचाकर उनके पिता अमरीक सिंह पूरे परिवार को लेकर भारत आ गए थे। झेलम जिले के चकवाल तहसील के भौंड़ गांव में जमा-जमाया कारोबार, आलीशान घर और खेत-खलिहान पीछे छूट चुका था। पंजाब के अमृतसर के नाभा में फुटपाथ पर कई रातें गुजरीं।

परिवार का पेट पालने के लिए पिता को छोटे-मोटे काम धंधे तक करने पड़े। इस बीच, उनका (अंशवीर) का जन्म हुआ। जिम्मदारियां बढ़ने पर काम की तलाश में पिता अमरीक सिंह वर्ष 1950 में कानपुर के गोविंद नगर के ए ब्लाक के 11 में आकर रहने लगे। यहां आकर उनकी मां जसवंत कौर वाराणसी से साड़ियां लाकर बेचती थीं। किसी तरह गुजर-बसर होता था।

बड़े हुए तो संभाली जिम्मेदारी

अंशवीर बताते हैं कि इस शहर ने उन्हें स्वावलंबन का रास्ता दिखाया। जब वह कुछ बड़े हुए तो साइकिल मरम्मत का काम शुरू किया। कुछ पैसे जुटाए तो एंजेट बन गए, दूसरे जिलों से आर्डर लेकर आने लगे। दिनरात मेहनत की। इसके बाद एजेंसी का काम शुरू किया, जिसमें अपने छोटे भाई सत्यवीर सिंह को भी लगाया।

वर्ष 1976 में बिरहाना रोड में साइकिल की दुकान खोली। दूसरी दुकान वर्ष 1991 में जूही गौशाला चौराहा पर खोली। उनकी यह दोनों दुकानें शहर की सबसे बड़े साइकिल स्टोर के नाम से जानी जाती हैं।

अब 25 लोगों को दिया रोजगार

अंशवीर सिंह बताते हैं कि इस काम-धंधे में मेरे व छोटे भाई के बच्चे लगे हुए हैं। इसके अलावा 25 लोगों को रोजगार दिए हैं। उनके पास हीरो, एवन, हरकुलिस की एजेंसी है। इन सभी साइकिल कंपनियों के स्पेयर्स पार्ट्स का भी काम है।


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