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कानपुर में एमआरआइ मशीन में आक्सीजन सिलेंडर चिपका

कानपुर निवासी कैबिनेट मंत्री सत्यदेव पचौरी के सुरक्षा कर्मी की पिस्टल लखनऊ एमआरआइ मशीन में चिपकने के बाद दूसरी घटना कानपुर में ही हो गई।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Sat, 30 Dec 2017 05:09 PM (IST)Updated: Sat, 30 Dec 2017 05:09 PM (IST)
कानपुर में एमआरआइ मशीन में आक्सीजन सिलेंडर चिपका
कानपुर में एमआरआइ मशीन में आक्सीजन सिलेंडर चिपका

कानपुर (जेएनएन)। लखनऊ के राममनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में एमआरआइ मशीन में पिस्टल चिपकने का मामला अभी पुराना नहीं पड़ा था कि कल हैलट हास्पिटल की एमआरआइ मशीन में ऑक्सीजन का सिलेंडर चिपक गया। एमआरआइ मशीन के साथ अनहोनी में कानपुर का ही नाम चमकता है। 

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कानपुर निवासी कैबिनेट मंत्री सत्यदेव पचौरी के सुरक्षा कर्मी की पिस्टल लखनऊ एमआरआइ मशीन में चिपकने के बाद दूसरी घटना कानपुर में ही हो गई। एलएलआर (हैलट) अस्पताल परिसर में लाइफ लाइन स्पाइरल सिटी स्कैन सेंटर में लापरवाही के चलते कल रात सिटी स्कैन के दौरान 55 वर्षीय मरीज महेंद्र तिवारी को लेकर तीमारदार आक्सीजन सिलेंडर के साथ एमआरआइ कक्ष में चले गए। आक्सीजन सिलेंडर के फुल पावर मैग्नेट रेंज में आते ही मशीन ने उसे खींच लिया और तेज धमाके साथ मशीन बंद होने से अफरातफरी मच गई। मरीज के साथ वहां मौजूद स्टाफ बाल-बाल बच गए। इस मौके पर रेडियोलाजिस्ट डा. एके पांडेय नहीं मिले। उनसे बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने फोन नहीं उठाया और फिर स्विच आफ कर लिया। 

सिलेंडर चिपकने से मशीन खराब हो गई। एमआरआइ मशीन को बनने में तीन से चार दिन का वक्त और करीब 40 लाख रुपये का खर्च आएगा। मशीन खराब होने से अब मरीजों को महंगी दर पर बाहर से एमआरआइ कराना पड़ेगा। मशीन से सिलेंडर निकालने के लिए टेक्निकल टीम को मशीन के कंसोल एरिया में मैग्नेटिक फील्ड को पूरी तरह डिफ्यूज करना होगा। जैसा कि मंत्री के सुरक्षा कर्मी की मशीन में फंसी पिस्टल निकालने के लिए किया गया था। 

हैलट अस्पताल के अंदर रियायती दामों पर मरीजों का एमआरआई व सीटी स्कैन कराने के लिए सरकार ने प्राइवेट सेंटर खोला है। इसी सेंटर में सरकारी अस्पताल का वार्डबॉय मरीज को लेकर गया था। उसकी लापरवाही कहेंगे कि उसने मरीज का ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं हटाया लिहाजा मशीन में सिलेंडर चिपक गया और मशीन को ठीक करने के लिए इंजीनियर को बुलाया गया है। अस्पताल के मैनेजिंग डायरेक्टर एके पाण्डेय का कहना है कि जब तक हमारी मशीन ठीक नहीं हो जाती तब तक मरीजों को बाहर से एमआरआई व सी टी स्कैन कराना होगा। 

कैसे गया सिलेंडर

रात करीब 11 बजे हुई घटना लापरवाही के चलते हुई। मैग्नेटिक फील्ड के पावरफुल होने के कारण एमआरआइ रूम में लोहे की किसी भी चीज को ले जाना प्रतिबंधित है। यहां तक सभी जेवर भी उतरवा लिए जाते हैं और जिस व्यक्ति के शरीर में स्टील रॉड पड़ी होती है, उसका एमआरआइ नहीं होता। स्टाफ ने इसे नहीं समझा और मरीज के साथ आक्सीजन सिलेंडर भी एमआरआइ रूम में जाने दिया, जिससे हादसा हो गया।

50 लाख रुपए का नुकसान होने की आशंका

मशीन में सिलेंडर फंस जाने से लाइफ लाइन एमआरआई सेंटर में एमआरआई जांच लगभग एक सप्ताह के लिए बंद हो गई हैं। कंपनी का इंजीनियर आने के बाद ही मशीन से पिस्टल को निकाला जा सकेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक मशीन को बंद करके उसका चुंबकीय क्षेत्र खत्म नहीं किया जाएगा। तब तक सिलेंडर को नहीं निकाला जा सकता। यह काम कंपनी के इंजीनियर के आने के बाद ही होगा। इसमें एक सप्ताह या अधिक का समय भी लग सकता है। बताया जा रहा है कि पांच करोड़ से भी अधिक लागत की एमआरआई मशीन 3 टेस्ला पावर की है। यह काफी शक्तिशाली चुंबकीय शक्ति वाली है। इसको सही करने में करीब 50 लाख रुपए का नुकसान होने की आशंका है।

इससे पहले पीजीआई और लोहिया में भी हो चुका हादसा

इससे पहले एसजीपीजीआई, लखनऊ  में 20 सितंबर 2012 को ऐसा हादसा हो चुका है। वहां एमआरआई मशीन के अंदर ऑक्सीजन सिलेंडर फस गया था। तीमारदार की गलती से हुई इस घटना के कारण किसी की जान नहीं गई थी। पांच करोड़ रुपए की मशीन क्षतिग्रस्त हो गई थी। इस हादसे में तीमारदार ऑक्सीजन सिलेंडर सहित एमआरआई कमरे में घुस गया था। वह जैसे ही कमरे में घुसा वैसे ही मशीन के चुम्बक ने पलक झपकते ही खींच लिया। सिलेंडर मशीन में फंस जाने से अफरा-तफरी मच गई थी। मरीजों को हलकी-फुलकी छोटे आई थी। करीब 10 दिन बाद मशीन की मरम्मत की सकी थी।

दो जून 2017 को डॉ. राम मनोहर लोहिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में खादी ग्राम उद्योग मंत्री सत्यदेव सिंह पचौरी के गनर (शैडो) मुकेश शर्मा की पिस्टल एमआरआई मशीन में फंस गई थी। मशीन वाले कमरे में लोहा समेत किसी भी धातु का सामान ले जाना मना होता है। बार-बार रोके जाने के बावजूद मुकेश नहीं माना और पिस्टल लेकर कंसोईल रूम में घुस गया। अंदर जाते ही उसकी कमर में लगी पिस्टल खिंचकर मशीन में जा घुसी थी। इसे सही करने में करीब एक सप्ताह का वक्त और पचास लाख रुपये का खर्चा आया था।


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