आयुध निर्माणियों के निगमीकरण को लेकर प्रतिरक्षा कर्मियों में उबाल, बोले-सरकार ने की वादा खिलाफी
तीनों फेडरेशन ने संयुक्त रूप से रक्षामंत्री को पत्र लिखकर निगमीकरण प्रस्ताव को वापस लेने की मांग की है।
कानपुर, जेएनएन। आयुध निर्माणियों के निगमीकरण को तीनों फेडरेशनों ने सरकार पर वादा खिलाफी करने का आरोप लगाया। निगमीकरण के फेसले से प्रतिरक्षा कर्मियों में उबाल है। तीनों फेडरेशन की ओर से संयुक्त रूप से रक्षामंत्री को लिखे पत्र में निगमीकरण प्रस्ताव को वापस लेने की मांग की गई है। वापस न लेने की स्थिति में सभी फेडरेशनों ने अनिश्चित कालीन हड़ताल करने की चेतावनी दी है।
ऑलइंडिया डिफेंस इंप्लाइज फेडरेशन कानपुर की समस्त आयुध निर्माणियों से जुड़ी यूनियनों के साथकेंद्रीय कार्यालय अर्मापुर में बैठक की। बैठक की अध्यक्षता कर रहे छविलाल यादव ने बताया कि आयुध निर्माणियों में कर्मचारियों के तीन मान्यता प्राप्त महासंघ आल इंडिया डिफेंस इंप्लाइज फेडरेशन, राष्ट्रीय सुरक्षा कर्मचारी महासंघ इंटक व भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ हैं। जनवरी में निगमीकरण किए जाने की जानकारी पर कर्मचारियों ने आम हड़ताल की थी।
जिसमें सभी आयुधनिर्माणियों में कोई भी कामगार काम पर नहीं गया था। जिसके बाद सरकार ने डिफेंस सेकेट्री के अधीन हाईपावर कमेटी गठित करके फेडरेशनों के नेताओं को आयुध निर्माणियों के निगमीकरण न करने का आश्वासन दिया था। इसके बाद कर्मचारी रक्षा उत्पादों के उत्पादन में लग गए थे। इधर कोविड-49 का प्रकोप होने पर आयुध निर्माणियों में महामारी से लड़ने के लिए चिकित्सा संबंधी उत्पाद बनाने शुरू कर दिए।
कर्मचारी नेता घनश्याम त्रिपाठी ने बताया कि कोविड-49 की आड़ में सरकार ने आयुध निर्माणियों के निगमीकरण का फरमान जारी कर दिया। तीन फेडरेशनों ने संयुक्त रूप से सरकार के इस निर्णय की निंदा करते हुए रक्षामंत्री को पत्र भेजकर निगमीकरण वापस लेने की मांग की। बैठक में गोपाल शर्मा, महादेव, एनडी मालवीय, सौरभ सिंह, आरके साहू आदि मौजूद रहे।
अनावश्यक खर्च है निगमीकरण का कारण
आयुधनिर्माणियों के निगमीकरण का प्रमुख कारण अनावश्यक खर्च हैं। यह बात ओईएफ कर्मचारी यूनियन के महामंत्री व रिपब्लिकन मजदूर फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष आशीष पांडेय ने कहीं उन्होंने बताया कि प्रत्येक माह आयुधनिर्माणी में पांच से दस करोड़ रुपये अनावश्यक खर्च किए जाते हैं। इन्हें कम करने के लिए कई बार एडवाइजरी भी जारी की गई, लेकिन अफसरों ने ध्यान नहीं दिया।