एक फीसद शुल्क की कमी भी मंडी को ना दिला सकी राहत, और छूट की दरकार
मंडी के बाहर कारोबार करने पर मंडी शुल्क खत्म कर दिया गया था। इसकी वजह से बाहर कारोबार करने वालों को दो फीसद मंडी शुल्क व आधा फीसद विकास शुल्क से राहत मिल गई थी।राजस्व कम होने की वजह सेमंडी के अंदर कारोबार करने पर एक फीसद छूट दी गई।
कानपुर, जेएनएन। दिसंबर की शुरुआत में मंडी में कारोबार पर दी गई एक फीसद की मंडी शुल्क में छूट भी मंडी के कारोबार को राहत नहीं दिला सकी है। दिसंबर माह में मंडी में राजस्व संग्रह और भी गिर गया है। हालांकि अधिकारी और कारोबारी मान रहे थे कि अगर छूट मिल जाए तो मंडी में कारोबार बढ़ जाएगा।
जून 2020 में मंडी के बाहर कारोबार करने पर मंडी शुल्क खत्म कर दिया गया था। इसकी वजह से मंडी के बाहर कारोबार करने वालों को दो फीसद मंडी शुल्क व आधा फीसद विकास शुल्क से राहत मिल गई थी। दूसरी ओर मंडी के अंदर कारोबार कर रहे आढ़तियों को दो फीसद मंडी व आधा फीसद विकास शुल्क लग रहा था। इसकी वजह से उनका गल्ला, दलहन, तिलहन ढाई फीसद महंगा हो रहा था। बिक्री ना होने के चलते आढ़तिए मंडी के बाहर कारोबार करने लगे थे। इससे मंडी के अंदर का राजस्व घटने लगा था। नवंबर में मंडी का राजस्व शुल्क 2.10 करोड़ रुपये ही रह गया था। जबकि एक वर्ष पहले नवंबर 2019 में यह चार करोड़ रुपये था।
कई माह से लगातार राजस्व कम होने की वजह से दिसंबर के पहले सप्ताह में मंडी के अंदर कारोबार करने पर भी एक फीसद छूट दे दी गई। इसके बाद मंडी में एक फीसद मंडी शुल्क बचा और आधा फीसद विकास शुल्क। अधिकारियों को उम्मीद थी कि अब राजस्व बढ़ेगा लेकिन दिसंबर माह खत्म हुआ तो राजस्व मात्र 1.57 करोड़ रुपये रह गया जबकि पिछले वर्ष यह 4.22 करोड़ रुपये था।
इस तरह पिछले वर्ष के मुकाबले 40 फीसद भी राजस्व नहीं बचा है। दिसंबर की शुरुआत में दी गई एक फीसद की छूट भी मंडी के कारोबार को बढ़ा नहीं सकी। कारोबारियों के मुताबिक जब तक पूरा शुल्क खत्म नहीं होगा, आढ़तिए क्यों मंडी के अंदर कारोबार करेंगे। मंडी सचिव सुभाष सिंह के मुताबिक दिसंबर में 1.57 करोड़ रुपये का टैक्स संग्रह हुआ है। टैक्स संग्रह बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं।