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केस्को कर्मचारियों के पीएफ घोटाला से जुड़ा एक और मामला सामने आया, ठकेदार के पास मिली पासबुकें

केस्को के ठेकेदार के पास संविदा कर्मियों की पासबुक मिली हैं। दर्जनों कर्मियों के पीएफ खातों से लाखों रुपये दूसरे खातों में ट्रांसफर करके निकाल लिये गए। कर्मचारियों का कहना है कि पीएफ की रकम इक्रा एजेंसी की ओर से जमा कराई गई थी।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Tue, 14 Sep 2021 10:59 AM (IST)Updated: Tue, 14 Sep 2021 10:59 AM (IST)
केस्को कर्मचारियों के पीएफ घोटाला से जुड़ा एक और मामला सामने आया, ठकेदार के पास मिली पासबुकें
कानपुर केस्को के कई कर्मियों ने की शिकायत।

कानपुर, जेएनएन। केस्को के संविदा कर्मियों के भविष्य निधि (पीएफ) घोटाले से जुड़ा एक मामला और सामने आया है। इस बार किसी साइबर ठग नहीं, बल्कि एक ठेकेदार ने ही दर्जनों कर्मियों को धोखे में रखकर उनके खातों से लाखों रुपये निकाल लिए। खास बात ये है कि इनकी पासबुक ठेकेदार के पास ही थी। अभी दर्जन भर कर्मचारियों के नाम सामने आए हैं, लेकिन जांच में बड़ी संख्या पता चल सकती है।

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केस्को में कार्यरत संविदा कर्मचारियों के पीएफ की रकम हजम करने का यह मामला पूर्व के पीएफ घोटाले की तरह ही है, मगर इस बार कोई बाहरी व्यक्ति या ठग नहीं, बल्कि आरोप विभाग को कर्मचारी मुहैया कराने वाली कंपनी के ठेकेदार पर ही है। इक्रा एजेंसी की ओर से संविदा पर लगे कर्मचारी सुनील कुमार, श्याम किशोर कश्यप, मनोज कुमार और ऋषिकांत तिवारी आदि ने बताया कि उनके पीएफ का पैसा जमा होता था, लेकिन इसके बारे में उन्हेंं ज्यादा कुछ जानकारी नहीं है।

पीएफ घोटाले की खबरें प्रकाशित करने पर उन्होंने भी संविदा कर्मचारी संगठन केस्को के महामंत्री दिनेश सिंह भोले से संपर्क साधा। अपने-अपने पीएफ खाते चेक करवाए। तब उन्हेंं पता चला कि उनके खातों में तो पैसा है ही नहीं। काफी पहले उनके खातों से पैसा निकाला जा चुका है। मामले में दिनेश सिंह का दावा है कि जब उन्होंने पड़ताल की तो सामने आया कि शहर की एक बैंक शाखा में सभी कर्मचारियों के खाते खुलवाए गए। ठेकेदार ने सभी की पासबुक अपने पास रखीं। इसके बाद पीएफ से पैसा ट्रांसफर करके इन खातों में डलवाए गए और बिना कर्मचारियों के हस्ताक्षर फर्जी साइन करके पैसे निकाल भी लिए गए। कर्मचारियों के मुताबिक, पीएफ का यह पैसा इक्रा एजेंसी की ओर से जमा कराया गया था।

श्याम किशोर और सुनील ने बताया कि उन्हेंं तो पता ही नहीं है कि उस बैंक शाखा में भी उन लोगों का खाता है। सुनील ने बताया कि तीन साल पहले जब खाता चेक किया था तो 18 हजार रुपये थे। अब खाता खाली है। श्याम ने बताया कि उसके पीएफ खाते से जो बैंक खाता अटैच है, वह उसका है ही नहीं।

-कर्मचारी झूठ बोल रहे हैं। सभी ने खुद जाकर खाते खुलवाए और उन्होंने खुद ही पैसा निकाला है। कहीं कोई गड़बड़ी नहीं की गई है। -राजेश यादव, ठेकेदार, इक्रा एजेंसी

-मामला संज्ञान में नहीं है। शिकायत मिलने पर जांच कराई जाएगी। कर्मचारी इस मामले में पुलिस से संपर्क करके मुकदमा दर्ज कराएं। -चंद्रशेखर अंबेडकर, प्रवक्ता, केस्को


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