Move to Jagran APP

स्वतंत्रता एक्सप्रेस से मिले 1.40 करोड़ का दावेदार आया सामने, आयकर विभाग ने तैयार की सवालों की लिस्ट

जीआरपी ने आयकर विभाग के अधिकारियों को दी इसकी जानकारी। स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस की पेंट्रीकार में बीती 16 फरवरी को मिले थे रुपये। जीआरपी के पास कंपनी का यह पत्र 28 फरवरी को आ गया था। एक मार्च को आयकर विभाग ने यह रकम अपने कब्जे में कर ली थी।

By Shaswat GuptaEdited By: Published: Fri, 05 Mar 2021 09:55 AM (IST)Updated: Fri, 05 Mar 2021 09:55 AM (IST)
स्वतंत्रता एक्सप्रेस से मिले 1.40 करोड़ का दावेदार आया सामने, आयकर विभाग ने तैयार की सवालों की लिस्ट
स्वतंत्रता एक्सप्रेस से मिले 1.40 करोड़ की सांकेतिक तस्वीर।

कानपुर, जेएनएन। स्वंतत्रता सेनानी एक्सप्रेस में 16 फरवरी को पेंट्रीकार में रखे सूटकेस में मिली 1.40 करोड़ रुपये की नकदी का दावेदार सामने आ गया है। जीआरपी ने आयकर विभाग को इसकी जानकारी भी दे दी है। अब आयकर विभाग सवाल-जवाब की तैयारी कर रहा है।

loksabha election banner

ये था मामला 

ट्रेन में दिल्ली से आए सूटकेस के संबंध में 10 दिन से ज्यादा समय तक यही विवाद होता रहा कि आखिर ये रुपया किसका है और कौन इसे रखेगा। इस बीच गाजियाबाद की टेलीकॉम सेक्टर में सर्विस देने वाली कंपनी बी4एस सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड ने राजकीय पुलिस बल (जीआरपी) कानपुर सेंट्रल स्टेशन के अधिकारियों को पत्र भेजकर यह राशि अपनी होने का दावा किया। कंपनी का कहना है कि उसने इस धन को लखनऊ में अपने आॅफिस के कर्मचारियों का वेतन बांटने के लिए भेजा था। जीआरपी ने इस पत्र की जानकारी आयकर विभाग को भी दी। आयकर विभाग ने अभी तक इस कंपनी के बारे में जानकारी हासिल की है। टेलीकॉम सेक्टर में सर्विस देने वाली कंपनी का लखनऊ में तो आफिस है ही, इसके अलावा पूर्वी उत्तर प्रदेश में कई ब्रांच आॅफिस हैं।

यह भी पढ़ें: कानपुर सेंट्रल पर मिले 1.40  करोड़ रुपये की दावेदारी में क्यों हुआ विलंब, विशेषज्ञों ने समझाया पूरा गणित

क्या कहते हैं अधिकारी 

अधिकारियों के मुताबिक जीआरपी के पास कंपनी का यह पत्र 28 फरवरी को आ गया था। इसके बाद एक मार्च को आयकर विभाग ने यह रकम अपने कब्जे में कर ली थी। अब आयकर विभाग अपनी तैयारी कर रहा है कि कंपनी के अधिकारी जब सामने आएंगे तो उनसे क्या-क्या पूछा जाए। फिलहाल यह राशि इतनी आसानी से कंपनी के हाथ में नहीं आएगी। कंपनी को इसके लिए तमाम साक्ष्य भी पेश करने होंगे।

इन अहम सवालों के तलाशे जाएंगे जवाब

  • आखिर इतनी बड़ी धनराशि लावारिस की तरह क्यों भेजी गई?
  •  कोई व्यक्ति साथ था तो वह रुपये छोड़कर क्यों भाग गया?
  •  इतने दिनों बाद रुपयों पर दावा क्यों किया गया, पहले क्यों नहीं हुआ?
  •  क्या रुपये गंतव्य तक न पहुंचने पर कोई एफआइआर दर्ज कराई थी?
  •  इस तरह से वह इतनी बड़ी रकम क्यों भेज रही थी?
  •  इससे पहले भी क्या उसने ऐसे ही रकम भेजी थी?
  •  सबसे बड़ा सवाल रेलवे के इंटरनल सिस्टम पर अलग-अलग नाम से आने वाले फोन होंगे। इस तरह के फोन उसने क्यों कराए?
  • जब स्टेशन पर सूटकेस आ ही गया था तो फोन करने वाले व्यक्ति ने सूटकेस लेने वाले का नाम और पहचान क्यों नहीं बताई?

इनका ये है कहना 

कंपनी का पत्र मिला है। इसकी जानकारी आयकर विभाग को दे दी गई है। आगे की कार्रवाई आयकर विभाग ही करेगा।  - राममोहन राय, इंस्पेक्टर, जीआरपी


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.