एक बार फिर फंसा तय झकरकटी पुल का काम, बिहार और बुलंदशहर वापस लौट गए मजदूर
पिछले वर्ष लॉकडाउन में मजदूर अपने घर लौट गए थे। इस वजह से यह काम प्रभावित रहा था इस बार फिर यही साप्ताहिक बंदी की वजह व बस अड्डे आने वाली भीड़ की वजह से सभी मजदूरों में कोविड संक्रमण फैलने का भय मन में बैठ गया।
कानपुर, जेएनएन। झकरकटी पुल का काम तय समय पर एक बार फिर नहीं पूरा हो पाएगा, क्योंकि कोविड के डर मजदूर वापस अपने घर लौट गए हैं। अब ठेकेदार किसी मजदूरों को बुलाने में लगे हैं। जीटी रोड में अफीम कोठी से झकरकटी बस अड्डे के बीच बने पुराने झकरकटी पुल दो लेन का है, लेकिन इसमें अब वाहनों का लोड बढऩे से अक्सर जाम लगता है। इससे निजात दिलाने के लिए वर्ष 2007 से बन रहे झकरकटी पुल अभी तक बनकर तैयार नहीं हो पाया है। इसे चालू करने के लिए कई बार तिथि भी बदल चुकी है।
पिछले वर्ष लॉकडाउन में मजदूर अपने घर लौट गए थे। इस वजह से यह काम प्रभावित रहा था, इस बार फिर यही साप्ताहिक बंदी की वजह व बस अड्डे आने वाली भीड़ की वजह से सभी मजदूरों में कोविड संक्रमण फैलने का भय मन में बैठ गया। इसके बाद सभी मजदूर अपने घर वापस चले गए हैं। ठेकेदार प्रतिनिधि योगेश पांडेय ने बताया कि मजदूर बुलंदशहर और बिहार के थे। सभी वापस चले गए, जबकि इंजीनियर कानपुर देहात के थे। इस वजह से सप्ताह भर से काम बंद है। अधिशाषी अभियंता एसपी ओझा ने बताया कि कोविड की वजह से काम तय समय पर पूरा नहीं हो पाएगा।
खूनी पुलिया भी बनी नासूर : सीओडी पुल के उतरकर रामादेवी चौराहा के बीच पिछले चार वर्ष से खूनी पुलिया के काम चल रहा है, लेकिन अभी तक यह पूरा नहीं हो पाया। इस वजह वाहन सवारों को बहुत सतर्क होकर निकलना पड़ता है।