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ओमान सरकार को पसंद आई कई खूबियों वाली पारदर्शी दीवार, कंपनियों ने भी बिल्डिंग मैटेरियल बनाने की इच्छा जताई

हरकोर्ट बटलर प्राविधिक विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र ने तकनीक तैयार की है जो आने वाले समय खासा उपयोगी साबित होगी।

By Edited By: Published: Tue, 05 May 2020 02:13 AM (IST)Updated: Tue, 05 May 2020 09:04 AM (IST)
ओमान सरकार को पसंद आई कई खूबियों वाली पारदर्शी दीवार, कंपनियों ने भी बिल्डिंग मैटेरियल बनाने की इच्छा जताई
ओमान सरकार को पसंद आई कई खूबियों वाली पारदर्शी दीवार, कंपनियों ने भी बिल्डिंग मैटेरियल बनाने की इच्छा जताई

कानपुर, [विक्सन सिक्रोड़िया]। हरकोर्ट बटलर प्राविधिक विश्वविद्यालय (एचबीटीयू) की पारदर्शी दीवार की तकनीक ओमान सरकार को खूब भायी है। वहां की सरकारी कंपनी रॉयल स्टेट रॉयल कोर्ट अफेयर्स ट्रासपेरेंट कंक्रीट से म्यूजियम बनाना चाहती है। इसकी ईजाद करने वाले एचबीटीयू के सिविल इंजीनियरिंग विभाग से एमटेक कर चुके पूर्व छात्र रामांश बाजपेयी को ई-मेल किया गया है। स्वदेशी सीमेंट व भवन निर्माण सामग्री निर्माता कंपनियों ने भी इससे बिल्डिंग मैटीरियल बनाने की इच्छा जताई है।

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इस तरह बनाई पारदर्शी दीवार

रामांश ने प्लास्टिक ऑप्टिकल फाइबर को सैंड सीमेंट व ग्राउंड ग्रेन्युलेटेड ब्लास्ट फर्नेश स्लैब (जीजीबीएस) में मिलाकर पारदर्शी दीवार के छोटे-छोटे क्यूब तैयार किए हैं। इससे बनने वाली दीवार में सूर्य के प्रकाश को घर के भीतर लाने का काम प्लास्टिक ऑप्टिकल फाइबर करता है। इससे कमरे इतना रोशन होंगे कि पढ़ने-पढ़ाने का काम आसानी से होगा।

प्राकृतिक संसाधन का पूरा इस्तेमाल, बचेगी बिजली

इससे न केवल प्राकृतिक संसाधन का इस्तेमाल होगा बल्कि बिजली का बिल कम होगा। यह दीवार 20 फीसद से ज्यादा बिजली बचाएगी जबकि बारिश, सीलन व ऊष्मा का कोई प्रभाव भी नहीं पड़ेगा।

क्यूब बनाने के लिए 40 फीसद जीजीबीएस का किया इस्तेमाल

रामांश बताते हैं कि ट्रासपेरेंट कंक्रीट आधुनिक निर्माण वस्तु है। क्यूब बनाने के लिए 40 फीसद जीजीबीएस व 60 फीसद सीमेंट का इस्तेमाल किया जबकि चार फीसद प्लास्टिक ऑप्टिकल फाइबर पारदर्शिता के लिए लिया है। जीजीबीएस लोहे व स्टील उद्योग का बचा वेस्ट होता है इसलिए बहुत सस्ता पड़ता है। इससे साधारण ईंट व सीमेंट की दीवार बनाने की अपेक्षा 25 फीसद बचत होती है। यह आम दीवार की तुलना में मजबूत होगी।

बहुत सस्ता होगा भवन निर्माण

इस दीवार की कीमत भवन निर्माण लागत घटाएगी। रामांश ने बताया कि उन्होंने जो ब्रिक बनाई, वह चार इंच लंबी, तीन इंच चौड़ी व तीन इंच मोटी हैं। इससे बनी 0.1125 घनमीटर दीवार की लागत करीब दो हजार रुपये आएगी जबकि ईंट, सीमेंट व मौरंग से दीवार बनाने का खर्च 5500 से छह हजार रुपये आएगा।

ये बड़े फायदे

  • -सूरज की 30 फीसद रोशनी घर के अंदर पहुंचेगी।
  • -साधारण ईंट की अपेक्षा 25 फीसद अधिक मजबूत होगी।
  • -सामान्य दीवार की अपेक्षा इसकी ईंट 10 से 15 फीसद हल्की होंगी।
  • -घर के भीतरी भाग पर किसी मौसम का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

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