बूढ़ी मां को मिल रही पांच साल के गमों से रिहाई
गांधी जयंती पर जेल से छूटने वाला है बेटा, जमुना रोज पूछती थीं कि वह जेल से छूटकर आएगा या नहीं तो गांव के लोग दिलासा देते कि अम्मा धीरज धरौ, बेटा आएगा।
कानपुर (जेएनएन) : महाराजपुर के नसड़ा गांव में पांच साल से बूढ़ी आंखों में सिर्फ आंसुओं के सिवा कुछ नहीं दिखाई दिया। एक घटना से उनका परिवार ऐसा टूटा कि वह बेटे और पौत्रों के प्यार से महरूम हो गई। सुबह से शाम तक एक आंखों में सिर्फ एक आस और रात में सोते समय एक ही सपना देखती रहीं। आखिर भगवान ने उनकी सुन ली और बूढ़ी मां को बीते सालों के गमों से 'रिहाईÓ मिलने का समय आ गया। अब तो सिर्फ उनको दो अक्टूबर का इंतजार है, जिसकी उम्मीद से वह अबतक का जीवन काट सकी हैं।
क्या हुआ था जमुना देवी के साथ
महाराजपुर थानाक्षेत्र के नर्वल के नसड़ा गांव निवासी सरवन ङ्क्षसह की पहली पत्नी की संदिग्ध परिस्थितियों में जलकर मौत हो गई थी। ससुरालियों ने उस पर आत्महत्या के लिए उकसाने का मुकदमा दर्ज कराया था। इसपर सात अक्टूबर 2013 को सरवन को आठ साल की सजा हो गई थी। सरवन की दूसरी पत्नी शीलू, बेटे लकी व बेटियां ऋचा और धानी के साथ जुलाई से बांदा में नाना के घर पर हैं, बच्चे वहीं रहकर पढ़ाई कर रहे हैं। जमुना देवी अकेले गांव में रह रही हैं। बिन बेटे और उसके परिवार के वह काफी उदास थीं लेकिन बच्चों की पढ़ाई की वजह से कलेजे पर पत्थर रखकर उन्हें नाना के घर जाने दिया।
सभी को दो अक्टूबर का इंतजार
80 वर्षीय जमुना देवी की खुशी बार-बार उनकी आंखों से आंसू बन छलक पड़ती है। दरअसल बात ही दिल को सुकून देने वाली है। बीते पांच साल से जेल में बंद उनका बेटा दो अक्टूबर यानी गांधी जयंती को रिहा होने वाला है। दैनिक जागरण से यह खबर मिलने के बाद उनके पांव जमीन पर नहीं पड़ रहे हैं और बेटे की रिहाई के बीच का यह समय काटे नहीं कट रहा है। गांव भर में कहती घूम रही हैं कि बेटा आएगा तो नए कपड़े पहनाऊंगी, सबको मिठाई खिलाऊंगी। वह कहती हैं कि बहुत दिन बाद सुकून से बेटे को देख पाऊंगी वहीं पत्नी और बच्चे भी सरवन से मिलने को बेताब हैं। सभी को दो अक्टूबर का इंतजार है, जब वह लौटकर घर आएगा। पड़ोसी प्रशांत तोमर बताते हैं कि जमुना रोज पूछती थीं कि बेटा जेल से छूटकर आएगा या नहीं तो गांव के लोग दिलासा देते थे कि अम्मा धीरज धरौ, बेटा आएगा।