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केडीए में दबाई जा रहीं फर्जी रजिस्ट्री से जुड़ी फाइलें, जांच में सामने आ सकता बड़ा खेल

कानपुर विकास प्राधिकरण में पुरानी योजनाओं में फर्जी दस्तावेज से दूसरों के नाम पर रजिस्ट्रियां कराने का खेल चल रहा है। अब उपाध्यक्ष के आदेश पर पुरानी योजनाओं का सर्वे शुरू कराया गया है जिससे सभी भूखंडों की स्थिति का पता चल सकेगा।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Mon, 06 Sep 2021 08:54 AM (IST)Updated: Mon, 06 Sep 2021 08:54 AM (IST)
केडीए में दबाई जा रहीं फर्जी रजिस्ट्री से जुड़ी फाइलें, जांच में सामने आ सकता बड़ा खेल
केडीए की पुरानी आवासीय योजनाओं में खेल।

कानपुर, जेएनएन। केडीए उपाध्यक्ष ने पुरानी आवासीय योजनाओं का सर्वे शुरू करा दिया है। कई पुरानी आवासीय योजनाओं में खाली पड़े भूखंडों की रजिस्ट्रीं फर्जी दस्तावेज लगाकर कर दी गई है। सर्वे के चलते फर्जी रजिस्ट्री से जुड़ी फाइलों को भी सक्रिय रैकेट ने हटाना शुरू कर दिया है। कर्मचारियों से ज्यादा जानकारी दलालों को है। कम्प्यूटर चलाने से लेकर फाइल रखने तक का कार्य दलाल कर रहे हैं। वहीं रोक के बाद भी सेवानिवृत्त कर्मचारियों से कई अफसर काम ले रहे हैं।

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केडीए की पनकी, जूही, जरौली, श्यामनगर, साकेत नगर, गंगापुर मछरिया समेत कई पुरानी योजनाओं में दलाल कर्मचारियों से मिलकर फाइलों में फर्जी दस्तावेज लगाकर दूसरों के नाम पर रजिस्ट्री करा देते हैं। लगातार ऐसी शिकायतों के बाद से उपाध्यक्ष अरविंद सिंह ने पुरानी योजनाओं का एक बार फिर से रीव्यू कराना शुरू कर दिया है। इससे पता चलेगा कि योजना में कितने भूखंड खाली हैं एवं कितने की रजिस्ट्री हो गई है। साथ ही कितने भूखंडों में धन जमा है, लेकिन रजिस्ट्री नहीं हुई है। मौके पर भूखंडों की क्या स्थिति है।

पनकी योजना में चार दर्जन से ज्यादा भूखंडों की फर्जी रजिस्ट्री कर दी गई। इसमें कई की रजिस्ट्री निरस्त हो गई है। कई में गेस्ट हाउस और नर्सिंग होम चल रहे हैं। यही हाल किदवईनगर योजना का है, यहां कई भूखंडों में फर्जी दस्तावेज लगाकर रजिस्ट्री कर दी गई। पूर्व उपाध्यक्ष ओएन सिंह और जयश्री भोज ने कई मामले पकड़े थे। इसी कड़ी में जूही योजना में छह भूखंडों की फर्जी रजिस्ट्री करने के मामले में एक कर्मचारी पिछले दो साल से निलंबित चल रहा है।

ऐसे होता है खेल : दलाल ऐसी फाइल ढूंढते हैं, जिनके नाम भूखंड आवंटन हुआ, लेकिन पूरा पैसा नहीं जमा कराया या रजिस्ट्री नहीं कराई। आवंटी भी नहीं है। ऐसे में भूखंड से जुड़ी फाइल में आवंटी की फोटो बदल दी जाती है। और भूखंड की कीमत में पुरानी रसीदें लगा दी जाती हैं। इसकी रजिस्ट्री कर दी जाती है। इसके लिए भूखंड की आधी कीमत ली जाती है। अगर बीस लाख का भूखंड है तो दस लाख लेकर फर्जी रजिस्ट्री कर दी जाती है।

दूसरी मंजिल पर जुटते हैं दलाल : दलालों का डेरा केडीए में दूसरी मंजिल पर लगता है। एक महिला दलाल कर्मचारियों का कंप्यूटर तक चलाती है। एक दलाल कर्मचारी का साला है। इसके अलावा कई दलाल सुबह से ही प्राधिकरण में डेरा डाल देते हैं। बाहरी व्यक्ति आने वाले उनको कर्मचारी समझकर फंस जाते है। ऐसे दलालों की पहचान करने के साथ ही कर्मचारियों पर भी नजर रखी जा रही है।

-ग्राम समाज की जमीन चिन्हित करने के साथ ही आवासीय योजनाओं का सर्वे होगा, ताकि पता चल सके कि कितने भूखंड खाली हैं। इनको चिन्हित किया जाएगा। -अरविंद सिंह, उपाध्यक्ष, केडीए


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