बिठूर के ब्रह्मावर्त घाट पर गंगा की रेत में मिला प्राचीन खजाना, देखने वालों का लगा तांता
बिठूर की प्राचीनता ब्रह्माजी और श्रीराम से धार्मिक नानाराव पेशवा और रानी लक्ष्मीबाई के इतिहास से जुड़ी है।
कानपुर, जेएनएन। कहते हैं गंगा जी अपनी गोद में प्राकृतिक खजाना समेटे हैं लेकिन गुरुवार को बिठूर के घाट पर रेत से ऐसा प्राचीन खजाना मिला, जिसे देखने के लिए लोगों को तांता लग गया। देखने वाले भी इस खजाने की प्राचीनता का सही अंदाजा नहीं लगा सके, खबर मीडिया में फैली तो पुलिस भी पहुंच गई। अब लोग इसे पुरातात्विक धरोहर बता रहे हैं। वहीं प्रशासन को भी सूचना दी गई है ताकि इसे संरक्षण में लिया जाए।
प्राचीन है बिठूर का इतिहास
बिठूर का इतिहास तो वेद-पुराणों में मिला है और ब्रह्मजी और भगवान श्रीराम का वास बताया जाता है। गंगा किनारे बसे इस बिठूर में ब्रह्मावर्त घाट है, जहां ब्रह्म खूंटी भी है। इस खूंटी को धरती का केंद्र बिंदु बताया गया है। हालांकि इसका इतिहास बिठूर के राजा नानाराव पेशवा और झांसी की रानी लक्ष्मीबाई से जुड़ा है। ऐसे में यहां प्राचीन खजाना मिलना कोई नई बात नहीं है। यहां नानाराव पेशवा का किला, मंदिर और कई प्राचीन स्थलों के अवशेष हैं।
गंगा की रेत में मिले प्राचीन सिक्के
बिठूर के ब्रह्मावर्त घाट पर गंगा की रेत में गंगा सुरक्षा दल के सदस्य कल्लू मिश्रा मछलियों व अन्य जीव जंतुओं की देख रेख के लिए तैनात हैं। गुरुवार को वह गंगा की धारा के बीच में बैठकर मछलियों को दाना फेंक रहे थे तभी बालू की रेत में कुछ नजर आया। वह वहां तक पहुंचे और रेत हटाई तो कुछ सिक्के मिले। इन सिक्कों को गंगा जल से धुला तो देखा तो उनपर माधव राव लिखा था। तीनों सिक्के ले जाकर उन्होंने साथियों को दिखाये। वह मौजूद लोगों में प्राचीन खजाना देखने का कौतूहल बना रहा। इसकी जानकारी मिलने पर मीडिया कर्मी भी पहुंच गए और सिक्कों के बारे में जानकारी हासिल की। कुछ लोगों ने इसकी जानकारी प्रशासन को भी दी है।