कानपुर में पुराने और कंडम आक्सीजन सिलिंडर बाजार में उतारे, हाईप्रेशर के साथ भरी जाती है गैस
Oxygen Cylinder Crisis News Kanpur सात क्यूबिक लीटर ऑक्सीजन भरे जाने वाले सिलिंडर का वजन 52 किलोग्राम होता है। इसकी लंबाई एक सामान्य कद के आदमी से ज्यादा है। अभी तक ऑक्सीजन के इन सिङ्क्षलडरों का इस्तेमाल वेल्डिंग करने वाले करते थे।
कानपुर, जेएनएन। कोरोना संक्रमण को लेकर ऑक्सीजन संकट बढऩे पर बाजार में पुराने, कमजोर और कंडम सिलिंडर भी उतार दिए गए हैं। इनमें हाईप्रेशर से ऑक्सीजन भरने के दौरान हादसा हो सकता है।
कोरोना मरीजों की संख्या बढऩे के साथ ही ऑक्सीजन सिलिंडर की मांग में लगातार इजाफा हो रहा है। सात क्यूबिक लीटर ऑक्सीजन भरे जाने वाले सिलिंडर का वजन 52 किलोग्राम होता है। इसकी लंबाई एक सामान्य कद के आदमी से ज्यादा है। अभी तक ऑक्सीजन के इन सिङ्क्षलडरों का इस्तेमाल वेल्डिंग करने वाले करते थे। अब इनकी मांग मेडिकल क्षेत्र में बढऩे से पुराने हो चुके सिङ्क्षलडर भी बाजार में आ गए हैं। जानकार बताते हैं कि पुराने सिलिंडर फटने की पिछले वर्षों में कई घटनाएं हो चुकी हैं। इसलिए कमजोर सिलिंडरों को छांटकर उनमें ऑक्सीजन भरना बंद कर दिया गया था। उनमें कार्बन डाइआक्साइड भरकर ज्यादातर इस्तेमाल ठेले पर कोल्ड ड्रिंक बेचने वाले करने लगे थे। कार्बन डाइआक्साइड को हाईप्रेशर से नहीं भरा जाता है। इसलिए उसमें पुराने सिङ्क्षलडर चल जाते हैं। अब मांग बढऩे से वही पुराने और कमजोर हो चुके सिङ्क्षलडर ऑक्सीजन भरने में इस्तेमाल किए जा रहे हैं। बेचने वाले ज्यादा दाम भी ले रहे हैं। जानकारों की मानें तो पुराने सिङ्क्षलडर ऑक्सीजन भरने के लिए प्लांट में लाने पर हादसा हो सकता है, क्योंकि यह हाईप्रेशर बर्दाश्त करने लायक नहीं हैं।
सिलिंडर की ऐसे करें पहचान
नोजल के पास छल्ला पड़ा है तो जान लें कि कमजोर होने की आशंका में इसकी जांच हो चुकी है। उसमें जांच की तारीख भी लिखी जाती है।
जगह-जगह लगी जंग और पिचक जाना।
ऑक्सीजन भरते समय एक अलग तरह की आवाज आए।