नालों की सफाई से पहले हटे कब्जे, ताकि नहीं भरे शहर में पानी,हर साल खर्च होते पांच करोड़
शहर वासियों को बारिश में जलभराव की समस्या से बचाने के लिये कानपुर में हर साल नालों की सफाई पर करीब पांच करोड़ रुपये खर्च होते हैैं इसके बाद भी शहर के लोगों को जलभराव की समस्या का सामना करना पड़ता है।
कानपुर, जेएनएन। कानपुर नगर में नालों की सफाई पर करीब पांच करोड़ रुपये तक खर्च हो जाते है, लेकिन नालों से कब्जे नहीं हटने के कारण सफाई नहीं हो पाती है। इसके कारण बारिश में जलनिकासी न होने को कारण जलभराव हो जाता है। पार्षदों ने मांग की कि पहले नालों और नालियों से कब्जे हटाए जाए ताकि जल निकासी हो सके। नगर निगम ने पहली बार जनवरी माह में तमाम नालों की सफाई मशीन से शुरू करा दी है। नगर आयुक्त अक्षय त्रिपाठी ने मई तक नालों को साफ करने का लक्ष्य दिया है।
भाजपा के पार्षद नवीन पंडित हों या समाजवादी पार्टी के पार्षद अभिषेक गुप्ता लगभग हर दल के पार्षद का कहना है कि नालों की सफाई कराने में हर साल खेल हो जाता है इसका एक कारण यह भी है कि कई स्थानों पर नालों के ऊपर कब्जा है जिसका लाभ उठाकर ठेकेदार नालों से थोड़ी मात्रा में सिल्ट निकालकर बाहर रखवा देता बाद में यह सिल्ट उठाने के बजाए वापस नालों में ही बहा दी जाती जिससे नालों की सफाई नहीं हो पाती जिसका परिणाम यह रहता है कि बारिश के मौसम में थोड़ा पानी बरसने पर ही नालों से इसकी निकासी नहीं हो पाती और लोगों को गलियों में भी जलभराव की समस्या का सामना करना पड़ता है, पार्षदों का कहना है कि नाला सफाई से पहले कब्जे हटाए जाए ताकि ठीक से सफाई हो सके। ठेकेदार सफाई के नाम पर केवल कुछ सिल्ट हटा देते है। बरसात में जलभराव होता है। सीसामऊ , विजय नगर, शास्त्रीनगर, सीओडी नाला, रफाका नाला, श्यामनगर, बर्रा, विश्वबैंक बर्रा, शास्त्रीनगर समेत कई जगह नालों पर कब्जे है। इसके अलावा नालियों पर लोगों ने रैंप बना रखा इसके कारण नाली और गली पिट नहीं साफ हो पाती है। बारिश के समय जल निकासी बाधित होने के कारण पानी भरता है। नगर आयुक्त ने अफसरों को आदेश दिए है कि नालों से कब्जे हटाकर ठीक से सफाई करायी जाए।