बदलेगा टीबी के इलाज का तरीका, अब दो साल नहीं 11 माह दवा का होगा कोर्स Kanpur News
पहले चरण की दवाएं होंगी बंद जल्द लांच होगी नई गाइडलाइन।
कानपुर, जेएनएन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2025 तक देश से टीबी के सफाए के संकल्प के बाद इस बीमारी को पूरी तरह समाप्त करने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए जल्द ही इलाज की नई गाइडलाइन जारी हो सकती है। इसमें इलाज के तरीके को बदले जाने और प्रथम चरण की दवाओं को कम किए जाने की संभावना है। माना जा रहा है कि अभी तक दो साल तक चलने वाली टीबी की दवा का कोर्स घटाकर 11 माह का किया जा सकता है।
इसके लिए नई दिल्ली स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ट्यूबरकुलोसिस एंड रेस्पिरेटरी डिसीज में 24 सितंबर से तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित होगा। इसमें देशभर के मेडिकल कॉलेजों के चेस्ट रोग विशेषज्ञ भाग लेंगे। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज से चेस्ट रोग विभागाध्यक्ष डॉ. आनंद कुमार भी इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का हिस्सा बनेंगे।
इसलिए पड़ी आवश्यकता
टीबी उन्मूलन के लिए कई तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। रोगियों को घर से दवा खिलाने से लेकर आर्थिक सहायता तक दी जा रही है, लेकिन उसका कोई खास असर नजर नहीं आया। काफी संख्या में एमडीआर के रोगी मिले। इनपर प्रारंभिक दवाएं बेअसर हैं।
एंटीबायोटिक के इस्तेमाल से नुकसान
आम तौर पर बिना डॉक्टरों की सलाह लिए लोग मेडिकल स्टोर से एंटीबायोटिक दवाएं ले रहे हैं। इससे आगे चलकर उन्हें टीबी का संक्रमण होता है। प्रारंभिक चरण की एंटीबायोटिक दवाएं बेहतर हो रही हैं। इन दवाओं में क्यूनोलोन, लिवोफ्लोक्सासिन, मॉक्सीफ्लॉक्सासिन आदि शामिल हैं।
कुछ पीडिएट्रिक दवाएं बंद होंगी
डॉक्टरों के मुताबिक टीबी के इलाज में पीडिएट्रिक (बच्चों की) दवाएं ज्यादा कारगर साबित नहीं हो रही हैं। उनके नकारात्मक परिणाम ज्यादा हैं। इसे बंद कर नई दवाएं लांच की जाएंगी।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
नई गाइडलाइन में रोगी के कई बार नमूने लेकर जांच का प्रावधान किया गया है। इससे दवाओं के असर के बारे में पता चल जाएगा। अभी टीबी नॉट के बाद लाइन प्रो ही जांच होती है। -प्रो. सुधीर चौधरी, अध्यक्ष इंडियन चेस्ट सोसाइटी
नई गाइड लाइन में इलाज का पूरा तरीका बदल जाएगा। रोगियों में दवाओं के असर की समस्या दूर होगी। इससे संक्रमण का खात्मा हो सकेगा। -प्रो. आनंद कुमार, विभागाध्यक्ष टीबी चेस्ट रोग, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज