अस्पतालों को छोड़कर अब श्मशान में घूम रहे स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी, आखिर क्या है इसकी वजह Kanpur News
डेंगू के रोकथाम और बचाव में फेल विभाग की नई कवायद मंडलायुक्त के सख्ती बरतने पर आठ पहुंचा मौत का सरकारी आंकड़ा।
कानपुर, जेएनएन। स्वास्थ्य महकमे के अफसर शहरी क्षेत्र में डेंगू नियंत्रण में पूरी तरह फेल रहे हैं। हद तो ये है कि विभाग अब तक हुई मौतों को डेंगू से मानता ही नही है। पहले डेंगू से मौतों को पूरी तरह झुठलाते रहने के बाद जब मंडलायुक्त ने सख्ती बरती तो सरकारी आंकड़ा आठ पहुंच गया। डेंगू से लगातार मौतें होने पर अधिकारी-कर्मचारी उनके नाम-पते नहीं खोज पा रहे हैं। अब अधिकारी मृतकों का नाम पता जानने को मलेरिया इकाई के कर्मचारियों को श्मशान घाट भेज रहे हैं।
अब तक 120 मौतों का सत्यापन
सीएमओ डॉ. अशोक शुक्ला का कहना है कि हर तीसरे साल डेंगू का वायरस आक्रामक हो जाता है। इस बार डेंगू का वायरस अधिक आक्रामक है, जिससे भयावह स्थिति है। सरकारी क्षेत्र की लैब में हुई जांच में 2600 मरीजों की डेंगू की पुष्टि हो चुकी है। लगातार मौतें भी हो रही हैं। डेंगू और बुखार से होने वाली मौतों के सत्यापन को अधिकारियों एवं कर्मचारियों को लगाया है। अब तक 120 मौतों का सत्यापन हो सका है। इसमें से 50 मृतकों के नाम-पते नहीं मिले हैं, जबकि 35 मृतक दूसरे जिलों हैं। इसका पता नहीं चल पा रहा है। नर्सिंग होम संचालक भी रिकार्ड छिपा रहे हैं। इसलिए अब मृतकों का रिकार्ड ढूंढने के लिए शहरी क्षेत्र के श्मशान घाट में मलेरिया अधिकारियों एवं कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई है, ताकि वहां से रिकार्ड जुटाया जा सके।
शुरुआत में हुई लापरवाही
सीएमओ डॉ. अशोक शुक्ला कहते हैं कि शुरुआत में लापरवाही हुई है। अब स्वास्थ्य विभाग एवं नगर निगम मिलकर नियमित छिड़काव और फागिंग करा रहे है। मौसम बदलने से कमी आई है, अभी डेंगू के केस आ रहे हैं।