रुपयों के लेनदेन में खूब करिए एनईएफटी और आरटीजीएस, अब बैंक नहीं लेंगे शुल्क Kanpur News
देश में अप्रैल 2019 में एनईएफटी से 20.34 करोड़ और आरटीजीएस से 1.14 करोड़ रुपये के ट्रांजेक्शन हुए हैं।
कानपुर, जेएनएन। नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (एनईएफटी) और रियल टाइम ग्रास सेटलमेंट सिस्टम (आरटीजीएस) के जरिए रुपये ट्रांसफर करने पर एक जुलाई से बैंक कोई शुल्क नहीं लेंगे। कारोबारी और आम जनता सभी इससे खुश है। उनका कहना है कि अभी तक शुल्क लगने की वजह से मजबूरी में इनसे रुपये ट्रांसफर किए जाते थे लेकिन अब इनकी संख्या में वृद्धि होगी।
51 रुपये तक पड़ता था शुल्क
भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार अप्रैल 2019 में देश में एनईएफटी से 20.34 करोड़ और आरटीजीएस के जरिए 1.14 करोड़ ट्रांजेक्शन हुए। आम तौर पर बैंक आरटीजीएस का शुल्क पांच रुपये से 51 रुपये तक और एनईएफटी में एक रुपये से 25 रुपये तक शुल्क लेता है। आरटीजीएस में दो लाख रुपये या उससे अधिक धन भेजा जाता है, वहीं एनईएफटी में न्यूनतम राशि भेजने की कोई सीमा नहीं है।
इनका कहना है
-अब तक कारोबारी या आमजन जरूरी होने पर ही रुपये ट्रांसफर करने में इनका इस्तेमाल करते थे लेकिन अब शुल्क नहीं होगा तो इसके प्रयोग में तेजी आएगी। -राम किशोर मिश्रा, सचिव, यूपी सराफा एसोसिएशन।
-अभी भी ट्रांजेक्शन शुल्क बहुत ज्यादा नहीं था। अगर किसी शुल्क का देश के विकास में उपयोग हो रहा है तो उस शुल्क को लेना राष्ट्रहित में है। -अश्विनी कोहली, अध्यक्ष, नवीन मार्केट शॉप कीपर्स एसोसिएशन।
-यह शुल्क हटाना ठीक है। बैंक बहुत और भी शुल्क लेते हैं जिसकी जानकारी उस शुल्क के कटने के बाद होती है। इनको भी खत्म किया जाए। -मुकुंद मिश्रा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष, उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल।
-सरकारी नौकरी में बहुत से लोग बाहर रहते हैं। बच्चे भी बाहर पढ़ते हैं। उन्हें भी रुपये भेजने होते हैं। इससे अब एनईएफटी करने वालों की संख्या बढ़ेगी। -राजेश सिंह, अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश इंप्लाइज प्रॉविडेंट फंड स्टाफ यूनियन।