पर्यावरण मंत्रालय के नए मानक, अब क्रोम रिकवरी प्लांट के बिना संचालित नहीं होंगी टेनरी
जल प्रदूषण फैला रही टेनरियों पर अब और बढ़ेगी सख्ती, पीसीबी का रुख हुआ सख्त।
कानपुर, जेएनएन। गंगा समेत अन्य नदियों में प्रदूषित पानी बहाने वाले टेनरी संचालकों व फैक्ट्री मालिकों पर एनजीटी के बाद अब पर्यावरण मंत्रालय ने भी कड़ा रुख अख्तियार किया है। अब तक सीईटीपी लगाकर काम चला रहे संचालकों के लिए क्रोम रिकवरी प्लांट लगाना जरूरी हो गया है। मंत्रालय के नए मानकों के मुताबिक बिना क्रोम रिकवरी प्लांट के उद्योग संचालित नहीं हो सकेंगे।
चमड़ा उद्योगों से निकल रहे प्रदूषित पानी में क्रोमियम की मात्रा शून्य हो, इसके लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के बाद पर्यावरण मंत्रालय ने नए मानक तय किए हैं। नए आदेशों के मुताबिक टेनरियों से निकले पानी में खतरनाक तत्व क्रोमियम की मात्रा को समाप्त करने के लिए कॉमन इन्फ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) के अलावा सभी फैक्ट्रियों में क्रोम रिकवरी प्लांट अनिवार्य रूप से लगाए जाएंगे। जानकारों के मुताबिक ये आदेश मार्च 2019 से प्रभावी होंगे। अभी टेनरी संचालकों को यह प्लांट लगाने को कहा गया है। मार्च के बाद इसकी जांच होगी।
पर्यावरण मंत्रालय की मंशानुसार चमड़े की फिनिङ्क्षशग में उपयोग होने वाले क्रोमियम को पानी से निकालने के लिए पहले इसे फैक्ट्रियों के क्रोम रिकवरी प्लांट में शोधित किया जाएगा। पानी से क्रोम जीरो करने के लिए इसके बाद इसे सीईटीपी में ट्रीट किया जाएगा। उन्नाव जिला प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी विमल कुमार ने बताया कि जिले की कई बड़ी टेनरियों में तो यह पहले से ही लगा हुआ है जिनमें अभी इस प्लांट को नहीं लगाया गया है उन्हें दिखवाया जाएगा और समय रहते इसे लगाने को कहा भी जाएगा।