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अब होगी इंजीनियरों और डॉक्टरों की जुगलबंदी, स्वास्थ्य विज्ञान और तकनीक को जोड़ने वाला देश का पहला संस्थान होगा आइआइटी कानपुर

आइआइटी कानपुर अब आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से स्वास्थ्य सेवा में मददगार बनेगा । गंगवाल स्कूल आफ मेडिकल साइंस में सुपर स्पेशियलिटी हास्पिटल के साथ शोध कार्य किए जाएंगे । यहां डाक्टरों संग मिलकर इंजीनियर सस्ते मेडिकल उपकरण तैया करेंगे।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Mon, 04 Jul 2022 11:22 AM (IST)Updated: Mon, 04 Jul 2022 11:22 AM (IST)
अब होगी इंजीनियरों और डॉक्टरों की जुगलबंदी, स्वास्थ्य विज्ञान और तकनीक को जोड़ने वाला देश का पहला संस्थान होगा आइआइटी कानपुर
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से स्वास्थ्य सेवा में मदद की तैयारी।

कानपुर, चंद्रप्रकाश गुप्ता। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) में अब इंजीनियर और डाक्टर की जुगलबंदी अब स्वास्थ्य सेवाओं को सहज और सुलभ बनाएंगे। न केवल सस्ते स्वास्थ्य उपकरण तैयार करेंगे, बल्कि ग्रामीण और सुदूर क्षेत्रों में भी चिकित्सा सुविधा पहुंचाएंगे। यह सब मुमकिन होगा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग तकनीक की मदद से। इन्हीं सब कार्यों के लिए 16 जुलाई को संस्थान में गंगवाल स्कूल आफ मेडिकल साइंसेज एंड टेक्नोलाजी की नींव रखी जाएगी उसमें सुपर स्पेशियलिटी हास्पिटल भी होगा।

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आइआइटी कानपुर देश का पहला ऐसा संस्थान है, जिसने स्वास्थ्य विज्ञान के साथ तकनीक व अभियांत्रिकी को जोड़ने की पहल की है। संस्थान में स्कूल आफ मेडिकल साइंस एंड टेक्नोलाजी की स्थापना की जा रही है। स्कूल के लिए संस्थान के पूर्व छात्र अब तक करीब 350 करोड़ रुपये की मदद कर चुके हैं, सबसे ज्यादा 100 करोड़ रुपये की मदद इंडिगो एयरलाइंस के सह संस्थापक राकेश गंगवाल ने की। उन्हीं के नाम पर स्कूल होगा। आइआइटी कानपुर के निदेशक प्रो. अभय करंदीकर ने बताया कि देश के पहले ऐसे स्कूल में चिकित्सक और इंजीनियर साथ मिलकर कार्य करेंगे और विभिन्न रोगों की डायग्नोस्टिक व इलाज में आने वाली समस्याओं को दूर करने के लिए तकनीक विकसित करने या स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ाने की दिशा में कार्य करेंगे। एसजीपीजीआइ लखनऊ के सेवानिवृत्त डाक्टर एसके मिश्रा समेत कई नामी चिकित्सक भी स्कूल से जुड़े हैं।

सरकारी योजनाओं में भी सहयोग करेगा स्कूल : स्कूल के प्रभारी व भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के पूर्व सचिव प्रो. आशुतोष शर्मा ने बताया कि सरकार की आयुष्मान भारत जैसी तमाम योजनाओं में स्कूल सहयोग करेगा। ग्रामीण अंचल में जहां स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच नहीं है, वहां टेलीमेडिसिन व आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से लोगों को लाभ पहुंचाया जाएगा। मरीजों का डेटा एकत्र करके नए उपकरणों विकसित किए जाएंगे। वर्तमान में 80 फीसद से ज्यादा मेडिकल उपकरण बाहर से आयात करने पड़ते हैं।

वर्तमान में कई उपकरण तैयार किए जा चुके : आइआइटी के विभिन्न विभागों व इन्क्यूबेटेड कंपनियों की ओर से स्वास्थ्य सेवाओं में इजाफा करने के लिए तमाम उपकरण पहले ही विकसित किए जा चुके हैं। कोरोना महामारी के दौर में आइआइटी की कंपनियों ने श्वासा मास्क, वेंटिलेटर, एयर प्यूरीफायर तैयार किया, जो देश के कई अस्पतालों में इस्तेमाल हो रहे हैं। मुंह के कैंसर का पता लगाने वाला उपकरण भी विकसित किया गया। अब विज्ञानी कृत्रिम ह्रदय तैयार करने में जुटे हैं। यह प्रोजेक्ट भी दो से तीन माह में पूरा होने की उम्मीद है।

विभिन्न रोगों के लिए बनेंगे सेंटर आफ एक्सीलेंस : संस्थान में विभिन्न रोगों के लिए सेंटर आफ एक्सीलेंस (विशिष्ट केंद्र) भी तैयार किए जाएंगे, जिसमें कैंसर, पेट संबंधी रोग, मस्तिष्क की बीमारियां, ह्रदय संबंधी बीमारियां, आंख, कान और गला संबंधी बीमारियों, मूत्र रोग संबंधी बीमारियों और हड्डी रोगों के सेंटर आफ एक्सीलेंस शामिल होंगे।

स्कूल में होंगे कार्य

- मेडिकल में एमडी व एमएस की पढ़ाई

- सुपर स्पेशलिटी हास्पिटल में होगा इलाज

- स्वास्थ्य संबंधी शोध और तकनीक विकास

- सुदूर क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं में बढ़ोत्तरी


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