CBSE : बोर्ड परीक्षा में कोडिंग व्यवस्था, छात्रों को अनुक्रमांक के आगे लिखना होगा 1 व 2
सीबीएसई के रिसोर्सपर्सन डॉ. जावेद आलम ने कहा सुरक्षा कारणों से बोर्ड ने लागू की नई व्यवस्था लागू की है।
कानपुर, जेएनएन। सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंड्री एजूकेशन (सीबीएसई) की 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा में शामिल होने वाले छात्र-छात्राओं का अनुक्रमांक एक या दो अंकों से शुरू होगा। बोर्ड की ओर से परीक्षा 2020 में पहली बार यह व्यवस्था लागू की गई है। सात अंकों के अनुक्रमांक के कॉलम में 10वीं के छात्रों को जहां अंक 'एक' लिखना होगा, वहीं 12वीं के छात्र अंक 'दो' लिखेंगे। कहा जा रहा है कोडिंग की यह व्यवस्था सुरक्षा कारणों से लागू की गई है।
डीपीएस कल्याणपुर में सोमवार को आयोजित प्रशिक्षण कार्यशाला में यह जानकारी सीबीएसई के रिसोर्सपर्सन डॉ. जावेद आलम ने दी। डॉ.जावेद ने बताया कि हर परीक्षक प्रतिदिन 25-30 कॉपियों का मूल्यांकन करेगा और 12 दिनों के अंदर मूल्यांकन कार्य खत्म होगा। कॉपियां पहचान में आएं इसके लिए बैंगनी, लाल और काले रंग के पेन का प्रयोग करना होगा। परीक्षा में शामिल स्पेशल बच्चों की कॉपियों का मूल्यांकन अलग होगा।
आठ चरणों में होगा मूल्यांकन
सीबीएसई से नियुक्त चीफ नोडल सुपरवाइजर आनंद पांडेय ने बताया कि छात्र-छात्राओं की कॉपियों का मूल्यांकन आठ अलग-अलग चरणों में होगा। दो परीक्षक पहले आपस में कॉपियों की अदला बदली कर उसकी जांच करेंगे। फिर दो असिस्टेंट हेड एग्जामिनर, तीन डिप्टी हेड एग्जामिनर और फिर हेड एग्जामिनर के पास कॉपी री-चेक होने के लिए जाएगी। उन्होंने कहा कि दिव्यांग बच्चों को 15 मिनट से लेकर 60 मिनट तक का अतिरिक्त समय देने का प्रावधान है।
गायब हुए शिक्षक तो स्कूल पर पांच लाख जुर्माना
आनंद पांडेय ने बताया कि जो परीक्षक बिना किसी को बताए मूल्यांकन कार्य से गायब रहते हैं तो संबंधित स्कूल पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। पहले यह फीस 50,000 थी, जिसे इस साल से बढ़ाकर पांच लाख रुपये की गई है।
गणित में 20 अंकों का प्रैक्टिकल
सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंड्री एजूकेशन की 12वीं के गणित विषय में इस बार से 20 अंकों का प्रैक्टिकल होगा और 80 अंकों की लिखित परीक्षा होगी। यह व्यवस्था इसी वर्ष से लागू होगी।
मूल्यांकन में सतर्कता जरूरी
डॉ. जावेद ने कहा कि बोर्ड के नियमों का अगर सही से पालन किया जाए तो कॉपियों के मूल्यांकन में गलती नहीं होगी। उन्होंने कुछ कॉपियां दिखाईं, जिसमें अंकों में काफी अंतर मिला है। परीक्षक ने सात अंक दिए थे, जब पुनर्मूल्यांकन हुआ तो छात्र के 56 अंक हो गए, इसी प्रकार से 11 अंक वाले के 62, 33 अंक वाले के 72 अंक हो गए थे।