कूड़ा उठाने में कंपनी फेल, भुगत रही जनता
-दिया गया नोटिस 18 कूड़ाघरों से गंदगी उठाकर प्लांट तक पहुंचाने के लिए कंपनी को हर माह मिलते हैं 22 लाख रुपये
जासं, कानपुर : शहर को स्वच्छ रखने और कूड़ा उठाने के लिए लगी निजी कंपनी फेल हो गई है। हालत यह है कि कूड़ाघरों के बाहर फैली गंदगी और बदबू के चलते दो लाख से ज्यादा लोग परेशान हैं। इससे नाराज नगर आयुक्त ने कंपनी को नोटिस दी है। व्यवस्था में सुधार न होने पर कूड़ा सफाई का ठेका समाप्त कर दिया जाएगा।
स्वच्छ भारत मिशन के तहत शहर को कूड़ाघर से मुक्त करने की तैयारी में नगर निगम जुट गया है। स्मार्ट सिटी मिशन से शहर में छह ट्रांसफर स्टेशनों का निर्माण कराया है। इसमें कांपैक्टर खड़े रहते हैं और आसपास का कूड़ा कांपैक्टर में जमा होता है। बाद में कांपैक्टर से भाऊसिंह पनकी स्थित डंपिग ग्राउंड भेज दिया जाता है। शहर के 18 कूड़ाघरों से कांपैक्टर के माध्यम से गंदगी उठाने की व्यवस्था की गई है। इसके लिए दिल्ली की रोज मैटेरियल कंपनी से अनुबंध किया गया। एक साल से कंपनी कूड़ा उठा रही है। इसके एवज में नगर निगम हर माह 22 लाख रुपये दे रहा है।
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समय पर कांपैक्टर नहीं खड़ा होने से फैल जाती गंदगी
कंपनी की लापरवाही के चलते कूड़ाघरों में समय पर कांपैक्टर न खड़े होने से गंदगी सड़क पर फैल जाती है। कर्मचारी सुबह साढ़े सात की जगह दस बजे तक कांपैक्टर खड़े करते हैं। इसके चलते क्षेत्र से कूड़ा उठाकर लाने वाले कर्मचारी कूड़ाघर के बाहर गंदगी डाल देते हैं।
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योजना का हाल
योजना - कूड़ाघरों को हटाने की।
ठेका - दिल्ली की रोज मैटेरियल कंपनी के पास।
कूड़ाघर - 18
जिम्मेदारी - कांपैक्टर खड़े करने से लेकर कूड़ा प्लांट तक पहुंचाने की।
खर्च - हर माह 22 लाख रुपये
दिक्कत - गंदगी सड़क पर फैली रहती।
परेशान - दो लाख लोग
कूड़ाघरो से निकलती गंदगी - 220 टन
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कूड़ाघरों में ठीक से गंदगी न उठाने को लेकर कंपनी को नोटिस दिया गया है। व्यवस्था में सुधार न होने पर अनुबंध निरस्त कर दिया जाएगा।
डा. अजय संखवार, नगर स्वास्थ्य अधिकारी नगर निगम