कानपुर में एनजीटी के आदेश की उड़ रही धज्जियां, सड़क पर जल रहा कूड़ा, खुले में पड़ी निर्माण सामग्रियां
एनजीटी ने दो साल पहले प्रदूषण रोकने के लिए आदेश किए थे कि कूड़ा जलाते मिलने पर पांच हजार रुपये जुर्माना वसूला जाए। इसके अलावा खुले में सामग्री डालने और मलबा डालने वालों से पचास हजार रुपये जुर्माना वसूला जाए लेकिन एक भी नियमों का पालन नहीं हो रहा है।
कानपुर, जागरण संवाददाता। जाड़ा बढऩे के साथ ही शहर में प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। हालत यह है कि शहर में सांस लेना दूभर हो गया है। अब प्रदूषण बढ़ रहा है तो अफसरों को कार्रवाई की याद आ रही है। प्रदूषण रोकने के एनजीटी के आदेशों को रद्दी की टोकरी में फेंक दिया है। रोक के बाद भी खुले में कूड़ा जलाया जा रहा है। झाड़ू लगाते समय न तो पानी का छिड़काव हो रहा है और नहीं धूल उठाई जा रही है। इसके अलावा मलबा और निर्माण सामग्री खुले में डाली जा रही है।
एनजीटी ने दो साल पहले प्रदूषण रोकने के लिए आदेश जारी किए थे कि कूड़ा जलाते मिलने पर पांच हजार रुपये जुर्माना वसूला जाए। इसके अलावा खुले में सामग्री डालने और मलबा डालने वालों से पचास हजार रुपये जुर्माना वसूला जाए, लेकिन एक भी नियमों का पालन नहीं हो रहा है। पीरोड, स्वरूप नगर, आर्यनगर, जवाहर नगर, नेहरू नगर, गोविंद नगर, जीटी रोड, गीतानगर, इंदिरा नगर, नवाबगंज, विष्णपुरी, किदवईनगर, श्यामनगर, पनकी, रावतपुर समेत कई इलाकों में धड़ल्ले से सारे नियमों को ताक पर रखकर निर्माण हो रहे है। कहीं भी मलबे या निर्माण सामग्री को ढका नहीं जा रहा है।
साथ ही बिना हरा पर्दा डाले निर्माण कराया जा रहा है। इसके चलते आसपास रहने वालों का सांस लेना दूभर हो गया है। नगर निगम, केडीए और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को नहीं दिखाई दे रहा है। इसका नजीता है कि लोगों के हौसले बुलंद है। सुविधा शुल्क लेकर अफसर व कर्मचारी आंखे बंद किए हुए है। सुबह कई जगह कूड़ा जलाया जा रहा है। एक भी कार्रवाई नहीं की गई है। वहीं बिना मानकों के सड़कें खोदी जा रही है इसके चलते दिनभर उड़़ती धूल के कारण लोगों का निकलना दूभर हो गया है। इस बाबत महापौर प्रमिला पांडेय ने बताया कि नियमों का पालन नहीं करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी।