Navratri2020: अष्टमी और नवमी के अवसर पर पूजन के साथ घर-घर कराया गया कन्या भोज
शारदीय नवरात्र में अष्टमी और नवमी पूजन एक ही दिन मनाया गया। भक्तों ने बड़ी संख्या में शारीरिक दूरी का पालन करते हुए मां के दर्शन किए। मुख्य द्वार से सीमित संख्या में भक्तों को प्रवेश दिया गया। भक्तों ने मां से सुख समृद्धि की कामना की।
कानपुर, जेएनएन। शारदीय नवरात्र की अष्टमी और नवमी को भक्तों ने मां सिद्धिदात्री और मां महागौरी का विधि-विधान से पूजन किया। इस अवसर पर लोगों ने घरों पर कन्या भोज का आयोजन किया। वहीं मंदिरों और पंडालों में और आरती के साथ भक्तों ने दर्शन किए।
तिथियों में अंतर के चलते इस बार शारदीय नवरात्र में अष्टमी और नवमी पूजन एक ही दिन मनाया गया। बारादेवी मंदिर भोर आरती के बाद मंदिर के पट खोल दिए गए। भक्तों ने बड़ी संख्या में शारीरिक दूरी का पालन करते हुए मां के दर्शन किए। मुख्य द्वार से सीमित संख्या में भक्तों को प्रवेश दिया गया। वही जंगली देवी मंदिर काली मठिया मंदिर तपेश्वरी मंदिर में पहुंचे भक्तों ने मां से सुख समृद्धि की कामना की। चकेरी स्थित कालीबाड़ी मंदिर में सजे मां के पंडाल में भोर आरती बंगाली तर्ज पर हुई। सुहागिन महिलाओं ने ढाक पर नृत्य करके परंपरा का पालन किया। अशोक नगर स्थित दुर्गा पूजा पंडाल महिषासुर मॢदनी का पूजन अर्चन विधि विधान, से किया गया।
माता का स्वरूप मानकर कराया गया कन्या भोज
आस्था के महापर्व में कन्या भोज कराना सबसे प्रमुख माना जाता है। मान्यता है कि मां स्वयं कन्या रूप में घर-घर जाकर प्रसाद ग्रहण करती हैं। श्रद्धालुओं ने छोटी-छोटी कन्याओं का पूजन कर अॢपत किया। नौ कन्याएं जगदंबा के नौ स्वरूपों का प्रतीक मानीं जाती हैं। भोग से पहले परिवार के सदस्यों द्वारा कन्याओं को हल्दी चंदन लगाकर उनका पूजन किया गया। श्रद्धालुओं ने सुभद्रा, दुर्गा, शाम्भवी, चंडिका, कालिका, रोहिणी, कल्याणी, त्रिमूॢत और कुंआरी के रूप में कन्याओं का पूजन अर्चन किया।