एनएसआइ ने खोजा Petrol-Diesel का विकल्प, गन्ने के फिल्टर केक से बनाया Green Fuel
केंद्र सरकार के तेल आयात में कमी करने के फैसले को पर कामयाबी मिलने की उम्मीद है क्योंकि एनएसआइ ने गन्ने के फिल्टर केक से बायो सीएनजी तैयार की है जिसे लेबोरेट्री स्तर पर सफलता मिल गई है और कुछ चीनी मिलों ने तकनीक पर काम शुरू कर दिया है।
कानपुर, [शशांक शेखर भारद्वाज]। आसमान छूते पेट्रोल-डीजल के दाम देखकर आज हर कोई सस्ते ईंधन की ओर नजरें गड़ाए है और शोध भी जारी है। इसके बीच राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (एनएसआइ) ने पेट्रोल-डीजल का विकल्प खोज निकाला है। एनएसआइ ने गन्ने के बेकार फिल्टर केक से ग्रीन फ्यूल तैयार किया है। इससे सरकार के तेल आयात में कमी लाने के निर्देशों पर कामयाबी मिलने की उम्मीद जागी है।
बायो सीएनजी को मिली लेबोरेट्री में सफलता
एनएआइ द्वारा गन्ने के बेकार फिल्टर केक से बनाये बायो सीएनजी को लेबोरेट्री और संस्थान की इकाई स्तर पर सफलता मिल चुकी है। इस तकनीक को चीनी मिलों को दिया जाएगा, जबकि करीब आधा दर्जन मिलों ने इसपर काम भी शुरू कर दिया है। एनएसआइ लगातार गन्ने के अवशेषों से प्राकृतिक ईंधन विकसित कर रहा है, इससे पहले खोई से ईथेनॉल तैयार किया है। वहीं फिल्टर केक से कई जरूरत की वस्तुएं बनाई जा रही हैं। संस्थान के निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन ने बताया कि बायो सीएनजी को लेबोरेट्री और एनएसआइ की इकाई में बनाया गया है। यह ग्रीन फ्यूल का अच्छा विकल्प है।
बिजली तैयार कर रही चीनी मिलें
चीनी मिलें खोई से बिजली तैयार कर रही हैं। इनका उपयोग न सिर्फ मिलों के लिए हो रहा है, बल्कि ग्रिड को भी भेजी जा रही है। उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, महाराष्ट्र आदि प्रदेशों में इस पर काम शुरू हो गया है। चीनी मिलों ने एनएसआइ की खोई से बिजली बनाने की तकनीक को हासिल की। उसे अपने यहां लगाया और अब बिजली सप्लाई कर रही हैं। प्रो. नरेंद्र मोहन ने बताया कि पहले एक टन खोई से 90 यूनिट तक बिजली पैदा हो रही थी, लेकिन अब इसका दोगुना उत्पादन हो गया है।
कसेटसार्ट यूनिवर्सिटी से होगा करार
एनएसआइ बायो सीएनजी पर और अधिक काम करने के लिए थाईलैंड की कसेटसार्ट यूनिवर्सिटी के साथ जल्द ही करार करेगा। दोनों संस्थान मिलकर अन्य उत्पादों पर शोध करेंगे। लुधियाना की इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेज़ के साथ भी एमओयू पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। दोनों संस्थान फॉस्फोरस की अधिकता वाली खाद विकसित करेंगे।
क्या होता है फिल्टर केक
चीनी मिलों में गन्ने की पेराई के बाद जूस निकलता है। जूस को फिर शीरे में तबदील किया जाता है, इसके बाद शीरे को शोधित करने की प्रक्रिया होती है। इस प्रक्रिया के बाद बची गंदगी फिल्टर केक कहलाती है।