नेशनल मेडिकल कमीशन ने सख्त किए नियम, चिकित्सकीय संस्थानों में अब प्रोफेसर को योग्यता पर मिलेगी पीजी सीटें
नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) ने राजकीय और निजी चिकित्सकीय संस्थानों में पीजी की पढ़ाई के लिए मानकों को सख्त कर दिया है । अब प्रोफेसर की योग्याता के आधार पर ही स्नातकोत्तर की सीटें उपलब्ध कराई जा सकेंगी।
कानपुर, जेएनएन। राजकीय व निजी मेडिकल कालेज और चिकित्सकीय संस्थानों के प्रोफेसर की योग्यता पर ही स्नातकोत्तर (पीजी) की सीटें मिलेंगी। नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) ने पीजी की पढ़ाई के लिए शिक्षक और छात्रों के अनुपात के मानकों को और सख्त कर दिया है। इसमें अब प्रोफेसर के लिए अनुभव का समय तय कर दिया गया है।
मेडिकल कालेज में पहले जहां एक प्रोफेसर पर तीन पीजी की सीटें आसानी से मिल जाती थीं। नए नियम में प्रोफेसर के लिए भी पांच साल का अनुभव, तीन साल के दौरान प्रति वर्ष दो से अधिक छात्रों की थीसिस सुपरवाइज की हो। साथ ही उस संस्थान में 10 वर्षों से पीजी का कोर्स चल रहा हो। ऐसे स्थिति में ही पीजी सीटें मिलेंगी। चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए नेशनल मेडिकल कमीशन ने कवायद शुरू कर दी है। इसे ध्यान में रखते हुए पीजी पाठ्यक्रम में बदलाव का मसौदा तैयार किया है। अभी तक मेडिकल कालेजों में प्रोफेसर बनते ही पीजी की तीन सीटों की दावेदारी बन जाती है। इसी तरह एसोसिएट प्रोफेसर में पीजी की दो सीटें मिलती थीं।
अब नए नियम में प्रोफेसर के बाद पांच साल का अनुभव जरूरी होगा। इसके अलावा उन्हें तीन साल तक अनवरत तीन पीजी छात्रों की थीसिस सुपरवाइज करनी होगी। जिस संस्थान में वह कार्यरत हैं, वहां पीजी की पढ़ाई पिछले 10 वर्षों से हो रही है। ऐसी स्थिति में ही पीजी की सीटें मिल पाएंगी। वहीं, जीएसवीएम मेडिकल कालेज के न्यूरो सर्जरी विभागाध्यक्ष एवं एनएमसी के जानकार डा. मनीष सिंह का कहना है कि एनएमसी की इस पहल से चिकित्सा शिक्षा में सुधार होगा। साथ ही देश को अच्छे डाक्टर मिलेंगे।