मास्क की अनिवार्यता को न करें नजरअंदाज, हवा में मौजूद एयरोसोल और ड्रापलेट्स से करता है रक्षा
डाक्टरों के मुताबिक संक्रमित व्यक्ति के एयरोसोल दस मीटर से अधिक दूरी तक फैलते हैं। जबकि ड्रापलेट्स का प्रभाव दो मीटर तक रहता है। ऐसे में हवा में घूमने वाले यह अज्ञात शत्रु कभी भी हमारे शरीर पर अटैक करके संक्रमण के घेरे में ले सकते हैं।
कानपुर, जेएनएन। कोविड संक्रमण के बढ़ते प्रकोप के बीच आम जनमानस के लिए मास्क प्रथम योद्धा साबित हुआ। संक्रमण से सुरक्षित रखने में मास्क आज भी सबसे प्रभावी है। मास्क की क्वालिटी और उसके बेहतर तरीके से उपयोग से संक्रमण के फैलाव से जंग जीती जा सकती है। मास्क संक्रमण में वाहक बने एयरोसोल और ड्रापलेट्स से सुरक्षित रखने में अहम भूमिका निभाता है।
डाक्टरों के मुताबिक संक्रमित व्यक्ति के एयरोसोल दस मीटर से अधिक दूरी तक फैलते हैं। जबकि ड्रापलेट्स का प्रभाव दो मीटर तक रहता है। ऐसे में हवा में घूमने वाले यह अज्ञात शत्रु कभी भी हमारे शरीर पर अटैक करके संक्रमण के घेरे में ले सकते हैं। इससे बचने के लिए बेहतर क्वालिटी का मास्क लगाकर जरूर रहे। डबल लेयर मास्क को सही तरीके से लगाने से संक्रमण के दौर में सुरक्षित रहा जा सकता है।
अन्य की तुलना में एन-95 मास्क सर्वाधिक सुरक्षित: कपड़े से बने मास्क का प्रयोग कई लेयर का होने पर भी संक्रमण से बचाव में कारगार साबित नहीं होता है। क्योंकि कपड़े के रेशे संक्रमण से बचाव नहीं दे पाते हैं। इसकी तुलना में सर्जिकल मास्क वायरस के कण को रोकने में मददगार होते हैं। हालांकि इनका उपयोग एक से अधिक बार नहीं करना चाहिए। कोविड में सबसे सुरक्षित एन-95 मास्क को माना जाता है। इससे नाक और मुंह अच्छे कवर हो जाते हैं।
इनका ये है कहना:
बेहतर क्वालिटी के मास्क का प्रयोग करने से संक्रमण से सुरक्षित रहा जा सकता है। मास्क को लगाने के सही तरीके और नियमों का पालन सबको करना चाहिए। वैक्सीनेशन के बाद भी लोगों को मास्क का साथ नहीं छोडऩा चाहिए। - डॉ. प्रवीन कटियार, निदेशक यूनिवसिर्टी इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ साइंसेज।