आजादी के बाद पहली बार सैफई में बदले सियासी समीकरण, 'मुलायम' की सीट पर अनुसूचित जाति के प्रधान ने ली शपथ
सैफई गांव में आजादी के बाद पहली बार अनुसूचित जाति का प्रधान चुना गया है। करीब 50 साल से सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के बालसखा दर्शन सिंह यादव लगातार निर्विरोध प्रधान चुनते आए थे। पंचायत चुनाव 2021 में यह पद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो गया था।
इटावा, जेएनएन। समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के गांव सैफई में आजादी के बाद पहली बार सियासी समीकरण बदले हैं। दरअसल, यहां संपन्न हुए पंचायत चुनाव के बाद पहली बार किसी अनुसूचित जाति के व्यक्ति ने प्रधान पद की शपथ मंगलवार को ली है। वर्चुअल शपथ ग्रहण समारोह में ब्लाक क्षेत्र की 45 ग्राम पंचायतों में से 21 प्रधानों को शपथ दिलाई गई।
50 साल के बाद इन्हें मिली कमान: सैफई गांव में आजादी के बाद पहली बार अनुसूचित जाति का प्रधान चुना गया है। करीब 50 साल से सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के बालसखा दर्शन सिंह यादव लगातार निर्विरोध प्रधान चुनते आए थे। अक्टूबर 2020 में उनका निधन होने के बाद त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2021 में यह पद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होने पर नेताजी के पुराने साथी और गांव के रामफल वाल्मीकि को ग्राम पंचायत की कमान मिली है। बीडीओ बृजमोहन अंबेड और एडीओ पंचायत अनिल बाजपेई ने उन्हें ब्लाक परिसर में बुलाकर शपथ दिलाई, जबकि बाकी को वर्चुअल शपथ ग्रहण कराई गई।
ग्राम पंचायत कुइया के नवनिर्वाचित प्रधान अखिलेश उर्फ चंदगीराम यादव ने जिला कारागार से वर्चुअल माध्यम से शपथ ग्रहण की है। वह मतदान के पूर्व हत्या के प्रयास के मामले में इन दिनों जेल में हैं। जेल में रहते हुए ही चुनाव जीता था।