कानपुर में मुफ्ती इजहार मुकर्रम कासमी का मुस्लिम परिवारों को संदेश, कहा- जकात निकालकर गरीबों को देना एहसान नहीं
मुफ्ती इजहार मुकर्रम कासमी ने कहा कि अगर किसी के पास सोने अथवा चांदी के अलावा नकदी व बैंक बैलेंस भी है तो उन पर भी जकात अदा करनी होगी। निवेश के इरादे से खरीदे गए प्लाट पर जो मुनाफा होता है उस पर मजलूमों का हक होता है।
कानपुर, जेएनएन। हर संपन्न मुस्लिम को जकात निकालना अनिवार्य है। जो शख्स अपने माल में से ढाई फीसद निकाल कर गरीबों,जरूरतमंदों को नहीं देगा वह गुनाहगार होगा। साहिब-ए- निसाब यानी संपन्न व्यक्ति उसे कहा जाएगा जिसके पास साढ़े सात तोला सोना (87.5 ग्राम) अथवा साढ़े बावन तोला चांदी (612.35 ग्राम) हो अथवा इतनी ही कीमत की संपत्ति हो। जिसके पास इतना सोना, चांदी अथवा इसके बराबर संपत्ति है तो वह अपनी कुल बचत का ढाई फीसद भाग निकाल कर जकात के तौर पर जरूरतमंदों, गरीबों को देगा। जकात निकाल कर गरीबों को देना उन पर कोई एहसान नहीं है बल्कि यह उनका हक है। जो भी संपन्न मुस्लिम ऐसा नहीं करेगा तो वह गुनाहगार होगा। जानबूझ कर जकात से इंकार करने वाला इस्लाम से खारिज (बाहर) हो जाएगा। यह जानकारी मुफ्ती इजहार मुकर्रम कासमी ने दी।
उन्होंने बताया कि साहिब ए निसाब चाहे मर्द हो अथवा औरत दोनों को जकात निकालनी होगी। जो शख्स जकात निकाल कर गरीबों व जरूरतमंदों को देता है तो फरिश्ते उसके लिए दुआ करते हैं। मुफ्ती इजहार ने बताया कि अगर किसी के पास सोने अथवा चांदी के अलावा नकदी व बैंक बैलेंस भी है तो उन पर भी जकात अदा करनी होगी। जो लोग निवेश के उद्देश्य से प्लाट खरीद लेते हैं और उनकी नियत होती है कि उसे बेचकर अच्छा मुनाफा होगा तो उस प्लाट की की धनराशि पर भी जकात देनी होगी। अगर रहने की नियत से प्लाट खरीदा है तो उस पर जकात नहीं होगी। जकात रमजान में निकालना जरूरी नहीं है, जकात किसी भी महीेने निकाली जा सकती है लेकिन रमजान में एक नेकी का सवाब (पुण्य) 70 गुना मिलता है इसलिए लोग रमजान में जकात निकालते हैं।