मेडिकल कालेज-एलएलआर में मेट्रो बनाएगा दो-दो मुख्य द्वार
इंजीनियर ने एलएलआर से लेकर मेडिकल कालेज तक के कार्यों का लिया जायजा। - कालेज प्रशासन स
जागरण संवाददाता, कानपुर : मेट्रो रेल कानपुर और जीएसवीएम मेडिकल कालेज प्रशासन के बीच जमीन और मुआवजा को लेकर ठनी है। इस मामले से प्राचार्य ने जिला प्रशासन से लेकर शासन तक शिकायत की है। इसको लेकर शुक्रवार को उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कारपोरेशन (यूपीएमआरसी) के डिप्टी चीफ इंजीनियर एलएलआर अस्पताल के प्रमुख अधीक्षक से मिले। उनके साथ एलएलआर (हैलट) के प्रमुख अधीक्षक के साथ एलएलआर से मेडिकल कालेज होते हुए संक्रामक रोग अस्पताल (आइडीएच) तक निरीक्षण किया। प्रमुख अधीक्षक प्रो. आरके मौर्या के मुताबिक मेट्रो पहले से बेहतर कार्य कराने की बात कही है। मेडिकल कालेज और एलएलआर में दो-दो मुख्य द्वार का निर्माण कराएगा, जिसकी डिजाइन कालेज एवं अस्पताल प्रशासन देगा, जो पहले से बेहतर होंगे।
मेडिकल कालेज के प्राचार्य ने मेट्रो रेल प्रशासन पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया है। उनका आरोप है कि अस्थाई रूप से भूमि लेने की बात कहते हुए भूमि ली थी। पिलर बनने के बाद बची भूमि अब मेडिकल कालेज के काम की नहीं रही है। वहां कोई प्रोजेक्ट भविष्य में नहीं बन सकता है। पार्क, बाउंड्रीवाल और 250 पेड़ भी काट दिए थे। इसकी हकीकत जानने को यूपीएमआरसी के डिप्टी चीफ इंजीनियर सुधीर कुमार अनुबंध के कागजात लेकर शुक्रवार को अस्पताल आए थे। उन्होंने प्रमुख अधीक्षक प्रो. आरके मौर्या एवं मेडिकल कालेज के जूनियर इंजीनियर (सिविल) अरविद कुमार के साथ पूरा जायजा लिया है। प्रो. मौर्या ने बताया कि पूर्व के अनुबंध पर मेट्रो कायम है। जो भी नुकसान हुआ है, उसे पहले से बेहतर बनाएंगे। इसके लिए उन्होंने आइआइटी, सीएसजेएमयू और सीएसए के द्वार से बेहतर द्वार का निर्माण कराकर देंगे। बाउंड्रीवाल भी आठ फीट की बनवा रहे हैं। काम पूरा होने पर पार्क विकसित करेंगे और पौधारोपण करके भी देंगे।
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मुआवजा सरकार से मांगे
यूपीएमआरसी के डिप्टी चीफ इंजीनियर सुधीर कुमार ने कहा कि उत्तर प्रदेश शासन और उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कारपोरेशन (यूपीएमआरसी) के बीच सहमति के बाद मेडिकल कालेज की जमीन ली गई है। अगर भूमि का मुआवजा मांगना है तो शासन और सरकार से मांगे। यह हमारे स्तर का मामला नहीं है।
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यह भूमि ली है
2700 स्क्वायर मीटर ( .75 एकड़) एलएलआर अस्पताल की भूमि
2215 स्क्वायर मीटर (अस्थाई) भूमि मेडिकल कालेज की ली है, जहां पिलर बनाए हैं।