Move to Jagran APP

कानपुर में गिरते भू-जल स्तर को सुधारेगी मेट्रो, एलीवेटेड ट्रैक सहेजेगा पानी

शहर में मेट्रो ट्रैक के हर दूसरे पिलर पर लगाये जा रहे रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम से 158702.8 वर्गमीटर क्षेत्रफल में करीब पौने 13 करोड़ लीटर वर्षा जल को संरक्षित किया जा सकेगा।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Sun, 20 Sep 2020 09:50 AM (IST)Updated: Sun, 20 Sep 2020 09:50 AM (IST)
कानपुर में गिरते भू-जल स्तर को सुधारेगी मेट्रो, एलीवेटेड ट्रैक सहेजेगा पानी
कानपुर में गिरते भू-जल स्तर को सुधारेगी मेट्रो, एलीवेटेड ट्रैक सहेजेगा पानी

कानपुर, [राजीव सक्सेना]। ट्रैफिक के साथ ही मेट्रो शहर का भूगर्भ जलस्तर भी सुधारेगी। इसके लिए मेट्रो अपने एलीवेटेड हिस्से में बारिश के पानी को नीचे लाने के लिए रेनवाटर हारवेस्टिंग सिस्टम लगा रही है। पूरे शहर में हर दूसरे पिलर के निचले हिस्से में सिस्टम लगाया जा रहा है। इससे पूरे शहर में 1,58702.8 वर्गमीटर क्षेत्रफल हिस्से में वर्षा जल संचयन होगा। 

prime article banner

हर वर्ष गिर रहा भूजल स्तर

शहर में भूगर्भ जलस्तर की स्थिति काफी खराब है, कानपुर में अलग-अलग हिस्सों में हर वर्ष भूगर्भ जलस्तर गिरता जा रहा है। भूगर्भ जल विभाग के मुताबिक हर वर्ष कानपुर का जलस्तर औसतन 45 सेंटीमीटर गिर जाता है। इसमें जिन हिस्सों से मेट्रो गुजरेगी, उसमें कल्याणपुर में 58 सेंटीमीटर, सिविल लाइंस में 45 सेंटीमीटर, किदवई नगर में 13 सेंटीमीटर, नौबस्ता में 38 सेंटीमीटर के हिसाब से जलस्तर हर वर्ष गिर रहा है। 

दो सौ स्थानों पर लगेगा सिस्टम

मेट्रो अपने पहले कॉरीडोर में आइआइटी से मोतीझील के बीच नौ किलोमीटर लंबे पहले कॉरीडोर में मेट्रो के 200 स्थानों पर रेनवाटर हारवेस्टिंग सिस्टम लगाने जा रहा है। वैसे पूरे शहर में 19.354 किलोमीटर हिस्से में एलीवेटेड ट्रैक रहेगा। इतने लंबे हिस्से में यूू गार्डर बिछाए जाने हैं। एक यू गार्डर के अंदर के हिस्से की चौड़ाई 4.1 मीटर होती है और एक साथ मेट्रो के आने जाने के लिए दो गार्डर बिछाए जाते हैं। 1,58,720.8 वर्गमीटर क्षेत्रफल में ये एलीवेटेड ट्रैक रहेगा।

रेन हारवेस्टिंग कार्य से जुड़े विशेषज्ञों के मुताबिक औसत बारिश होने पर एक वर्गमीटर क्षेत्रफल में वर्ष भर में 800 लीटर पानी संरक्षित किया जा सकता है। इसलिए 1,58,720.8 वर्गमीटर क्षेत्रफल में 12,69,62,240 लीटर पानी सहेजा जा सकेगा। शहर में पानी की मांग को देखते हुए इसे बहुत अधिक नहीं कहा जा सकता, क्योंकि रोज सबमर्सिबल के जरिए 30 करोड़ लीटर और सरकारी नलकूप से आठ करोड़ लीटर पानी जमीन से निकाला जा रहा है। लेकिन मेट्रो द्वारा बचाए गए जल से एक दिन के लिए एक तिहाई शहर को पानी पिलाया जा सकता है।

डिवाइडर में लगेगी ग्रीनरी भी

मेट्रो के पिलर जितने मोटे हैं, उतने हिस्से को डिवाइडर के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा। सड़क के समानांतर सीमेंटेड डिवाइडर पिलर के साथ लगाए जाएंगे। इससे पिलर उस डिवाइडर के अंदर आ जाएंगे। इस खाली हिस्से में मिट्टी भरकर उसमें प्लांटेशन कराया जाएगा। पौधों में पानी देने के लिए उसी डिवाइडर के बीच में जलापूर्ति की व्यवस्था भी रहेगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.