दवाओं की किल्लत शुरू, मरीजों को हो सकता खतरा
ट्रांसपोर्टर हड़ताल से प्रभावित हुई दवा आपूर्ति, कारोबार 60 फीसद पर सिमटा, चार दिनों से दवाओं की आपूर्ति पूरी तरह से है ठप
जागरण संवाददाता, कानपुर : ट्रांसपोर्टरों की हड़ताल से थोक दवा कारोबार पटरी से उतर गया है। कानपुर समेत प्रदेश भर के थोक दवा बाजार में दवाओं की किल्लत शुरू हो गई है। पांच दिनों से दवाओं की आवक बंद होने से थोक दवा कारोबार गिरकर 60 फीसद पर आ गया है। बाजार से धीरे-धीरे जीवनरक्षक दवाओं एवं बच्चों के वैक्सीन की कमी होने लगी है। तीन-चार दिनों में आपूर्ति शुरू न होने पर मरीजों की जान आफत में पड़ सकती है।
दवा कंपनियों के 80 फीसद सीएनएफ एंड डिस्ट्रीब्यूटर लखनऊ में हैं, जबकि 20 फीसद वाराणसी एवं गाजियाबाद में हैं। कानपुर महानगर में भी 15-20 कंपनियों के सीएंडएफ और डिस्ट्रीब्यूटर हैं, जबकि कुछ कंपनियां सीधे दवाएं भेजती हैं। ट्रांसपोर्टरों की हड़ताल 20 जुलाई से चल रही है। इससे बिरहाना रोड स्थित थोक बाजार में चार दिनों से दवाएं नहीं आ रही हैं। जो दवाएं स्टॉक में थीं, वह धीरे-धीरे कम होने लगी हैं। इससे थोक दवाओं का कारोबार 40 फीसद तक घट गया है, जहां पहले करीब 10 करोड़ रुपये का रोजाना का कारोबार होता था। वह घटकर 60 फीसद पर आ गया है।
इन दवाओं की किल्लत
जीवनरक्षक दवा इंसुलिन, शुगर एवं ब्लड प्रेशर की दवाएं, एंटी रैबीज वैक्सीन (एआरवी), बच्चों की वैक्सीन, हार्ट की दवा निकोरॉन, बुखार की दवा पैरासिटामॉल आदि हैं।
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''यूपी में मुंबई, अहमदाबाद, चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश एवं उत्तराखंड से दवाएं आती हैं। हड़ताल के चलते दवाएं सीएंडएफ एवं डिस्ट्रीब्यूटर तक नहीं पहुंच पा रही हैं। इससे थोक दवा बाजार में दवाओं की किल्लत शुरू हो गई है। कारोबार 40 फीसद तक कम हो गया है।
- नंद किशोर ओझा, महामंत्री, दि दवा व्यापार मंडल।
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''लखनऊ से 80 फीसद माल थोक बाजार में आता है। महीने की क्लोजिंग होने की वजह से बाजार में पर्याप्त माल था, जो धीरे-धीरे खत्म हो रहा है। अगर तीन-चार दिन में स्थिति सामान्य नहीं हुई तो हाहाकार मच सकता है। - राजेंद्र सैनी, अध्यक्ष, दि दवा व्यापार मंडल।
एक नजर में थोक दवा कारोबार
4-5 करोड़ रुपये की रोज आती हैं दवाएं
6-7 ट्रक से भेजी जाती हैं
10 करोड़ रुपये का थोक दवा कारोबार
6 करोड़ रुपये पर आ गया