युद्ध नहीं आतंकवाद पर भारत-पाक के बीच संवाद होना जरूरी : मेधा पाटकर
नर्मदा बचाओ आंदोलन की संस्थापक बोलीं वार्ता के जरिये निकाला जा सकता है हर समस्या का हल।
By AbhishekEdited By: Published: Sat, 09 Mar 2019 11:13 PM (IST)Updated: Sun, 10 Mar 2019 11:57 AM (IST)
कानपुर, जागरण संवाददाता। आतंकवाद के मुद्दे पर भारत ने पाकिस्तान को एयर स्ट्राइक जैसे कदमों से करारा जवाब दिया। यही नहीं भारत के सख्त रवैये को देख पाकिस्तान ने विंग कमांडर अभिनंदन को वापस भेजा। हालांकि नर्मदा बचाओ आंदोलन की संस्थापक मेधा पाटकर का कहना है कि आतंकवाद पर भारत-पाक के बीच संवाद होना चाहिए। युद्ध से केवल ङ्क्षहसा होती है। वह शनिवार को आइआइटी कानपुर में पत्रकारों से बात कर रही थीं।
उन्होंने कहा कि वार्ता से हर बात का हल निकल सकता है। जब उनसे पूछा गया कि क्या कश्मीर में आतंकवाद पनप रहा है? तो उनका कहना था कि कश्मीर के अंदर व बाहर की स्थितियों में बहुत अंतर है। केवल आतंकवाद पनप रहा है, ये नहीं कहा जा सकता। वहां भी आवाम रहती है।
22 हजार करोड़ खर्च, फिर भी गंगा मैली
गंगा मैली क्यों हैं, वह अविरल और निर्मल क्यों नहीं हो रही हैं? के सवाल पर मेधा पाटकर ने बताया कि 22 हजार करोड़ खर्च होने के बावजूद गंगा मैली इसलिए हैं क्योंकि भारत में नदियों को बांधों से बांधा जा रहा है। वहीं अमेरिका में बांध तोड़े जा रहे हैं ताकि नदियों की अविरलता व निर्मलता बनी रहे। नर्मदा को लेकर कहा कि नर्मदा नदी तो अब सूख चुकी है। वर्षों तक आंदोलन के बावजूद सरकार ने गंभीरता नहीं दिखाई।
तकनीकी विज्ञान व समाज के बीच सेतु का काम करे आइआइटी
मेधा पाटकर ने कहा, आइआइटी जैसे संस्थान तकनीकी विज्ञान व समाज के बीच सेतु का काम करें। बोलीं सभी ये चाहते हैं कि ऐसी तकनीक विकसित हो, जिनका लाभ आम आदमी ले सके। आइआइटी के छात्रों को इसी दिशा में काम करना होगा।
उन्होंने कहा कि वार्ता से हर बात का हल निकल सकता है। जब उनसे पूछा गया कि क्या कश्मीर में आतंकवाद पनप रहा है? तो उनका कहना था कि कश्मीर के अंदर व बाहर की स्थितियों में बहुत अंतर है। केवल आतंकवाद पनप रहा है, ये नहीं कहा जा सकता। वहां भी आवाम रहती है।
22 हजार करोड़ खर्च, फिर भी गंगा मैली
गंगा मैली क्यों हैं, वह अविरल और निर्मल क्यों नहीं हो रही हैं? के सवाल पर मेधा पाटकर ने बताया कि 22 हजार करोड़ खर्च होने के बावजूद गंगा मैली इसलिए हैं क्योंकि भारत में नदियों को बांधों से बांधा जा रहा है। वहीं अमेरिका में बांध तोड़े जा रहे हैं ताकि नदियों की अविरलता व निर्मलता बनी रहे। नर्मदा को लेकर कहा कि नर्मदा नदी तो अब सूख चुकी है। वर्षों तक आंदोलन के बावजूद सरकार ने गंभीरता नहीं दिखाई।
तकनीकी विज्ञान व समाज के बीच सेतु का काम करे आइआइटी
मेधा पाटकर ने कहा, आइआइटी जैसे संस्थान तकनीकी विज्ञान व समाज के बीच सेतु का काम करें। बोलीं सभी ये चाहते हैं कि ऐसी तकनीक विकसित हो, जिनका लाभ आम आदमी ले सके। आइआइटी के छात्रों को इसी दिशा में काम करना होगा।
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