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कानपुर: ये है जज्बा, स्वरोजगार और सफलता की प्रेरणा

मात्र 3500 रुपये की जमा पूंजी से से खुद ट्रेडिंग का काम शुरू कर दिया और 4 साल में बाजार की नब्ज समझी और कुछ रकम जुटा ली।

By Krishan KumarEdited By: Published: Mon, 30 Jul 2018 06:00 AM (IST)Updated: Sat, 28 Jul 2018 06:00 AM (IST)
कानपुर: ये है जज्बा, स्वरोजगार और सफलता की प्रेरणा
आगे बढ़ने की हसरत तो हर इंसान की होती है। सपने पालते हैं, लेकिन साकार करने चलें तो संसाधनों की कमी के, धनाभाव के और चुनौतियों के तमाम बहाने गाते अधिकांश लोग मिल जाएंगे। मगर, चुनौतियों से कैसे जूझा जाए, मुश्किलों को कैसे मात दी जाए और जो इंसान छोटी सी नौकरी के भरोसे रहा हो, वह खुद अपने पैरों पर खड़ा होने के साथ ही कई परिवारों की आय का सहारा बन जाए, इसी जज्बे और सफलता की 'प्रेरणा' हैं शहर की महिला उद्यमी प्रेरणा वर्मा।

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गुमटी स्थित कौशलपुरी निवासी प्रेरणा वर्मा की कहानी संघर्ष और सफलता की शानदार मिसाल है। पिता का देहांत तभी हो गया था, जब वह छोटी थीं। मां प्रतिभा वर्मा ने जैसे-तैसे प्रेरणा और उनके भाई का लालन-पालन किया। परिवार की जरूरत देखते हुए उन्होंने 12वीं करने के बाद से ही निजी कंपनी में नौकरी शुरू कर दी। साथ ही कम्प्यूटर की भी कुछ जानकारी हासिल कर ली।

इसी दौरान एक व्यक्ति ने साझेदारी में नया व्यवसाय शुरू करने का ऑफर दिया। शर्त थी कि प्रेरणा मार्केटिंग और ऑफिस का काम संभालेंगी। मगर, साझेदारी की शर्तें टूटती महसूस हुईं तो प्रेरणा ने अपने घर के एक कमरे में आधे हिस्से को दफ्तर का रूप दिया। कुल जमा पूंजी मात्र 3500 रुपये ही थी। उसी से खुद ट्रेडिंग का काम शुरू कर दिया। चार साल तक यह काम कर प्रेरणा ने बाजार की नब्ज समझी और कुछ रकम जुटा ली।

2010 में प्रेरणा ने फजलगंज औद्योगिक क्षेत्र में किराए पर स्थान लेकर एक मशीन से कॉटन और फिर बाद में लेदर कॉर्ड्स (डोरी) बनाने का काम शुरू कर दिया। खुद ही मार्केटिंग करतीं। पहले घरेलू बाजार और फिर बाहर से ऑर्डर मिलने लगे। प्रेरणा बताती हैं कि अब उनके यहां हाथ की बुनाई के लेदर गुड्स तैयार होते हैं, जो कि करीब 25 देशों में निर्यात हो रहे हैं।

40 परिवारों को दिया स्वरोजगार
प्रेरणा बताती हैं कि उनकी फैक्ट्री में मशीन से कम और हाथ की कारीगरी का का काम ज्यादा होता है। ऑर्डर पूरा करने के लिए वह करीब 45 परिवारों से ऑर्डर पर सामान तैयार कराती हैं। इस तरह उन गरीब परिवारों को भी रोजगार मिल गया है और उनकी भी नियमित आय होती है।

एक बात चुभी और ठान ली चुनौती
वह बताती हैं कि जब साझेदारी में काम शुरू करने की बात हुई तो सोचा कि यहां से सफलता मिल जाएगी। मगर, पार्टनर ने एक ऐसी बात कह दी थी, जो दिल को काफी चुभ गई। तभी सोचा कि अब खुद का कारोबार शुरू कर दूसरों को नौकरी देनी है।

प्रेरणा वर्मा का कहना है,'इस तरह सफलता आसान नहीं है तो असंभव भी नहीं है। बेहतर योजना, समर्पण और सकारात्मक ऊर्जा की जरूरत होती है। मेरे पास पूंजी नहीं थी। सरकारी योजना के तहत लोन के लिए आवेदन किया था, लेकिन सरकारी रस्म पूरी न करने पर वह लोन नहीं मिल सका। जैसे-तैसे पैसा इकट्ठा कर काम करती रही और अब करोड़ों का कारोबार है।'

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