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कानपुर राउंडटेबल कॉन्फ्रेंसः खुद से करें सुधार की शुरुआत, अफसरों की तय हो जिम्मेदारी

'माय सिटी माय प्राइड’ अभियान के तहत 'जागरण’ ने सुरक्षा, इंफ्रास्ट्रक्चर, स्वास्थ्य समेत अन्य आधारभूत सुविधाओं के सकारात्मक व नकारात्मक पहलुओं को छुआ। प्रबुद्धजनों से सुधार के सुझाव भी लिये।

By Gaurav TiwariEdited By: Published: Sun, 26 Aug 2018 06:01 AM (IST)Updated: Mon, 03 Sep 2018 10:38 AM (IST)
कानपुर राउंडटेबल कॉन्फ्रेंसः खुद से करें सुधार की शुरुआत, अफसरों की तय हो जिम्मेदारी

जागरण संवाददाता, कानपुर : सरकारों द्वारा लगातार अथक प्रयास के बावजूद आमजन से जुड़ीं आधारभूत सुविधाओं में अभी उतना विकास नहीं दिखता, जितना नजर आना चाहिए था। वहीं सोचने वाली बात ये भी है कि जिस शहर को स्मार्ट सिटी बनाने का सपना संजोया जा रहा है, वहां सड़कें टूट रही हैं। पाइप लाइनों से भ्रष्टाचार का फव्वारा छूट रहा है, जर्जर स्कूलों में मौत के साए में बच्चे पढऩे को मजबूर हैं। तमाम स्थानों पर संचालित चïट्टे शहर के विकास को मुंह चिढ़ा रहे हैं।

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'माय सिटी माय प्राइड’ अभियान के तहत 'जागरण’ ने सुरक्षा, इंफ्रास्ट्रक्चर, स्वास्थ्य समेत अन्य आधारभूत सुविधाओं के सकारात्मक व नकारात्मक पहलुओं को छुआ। प्रबुद्धजनों से सुधार के सुझाव भी लिये। इसी कड़ी में शनिवार को राजनीति, उद्यम, शिक्षा, समाजसेवा के क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों को बुलाकर शहर में विकास की संभावनाओं और कैंपेन की सिटी लिवेबिलिटी सर्वे रिपोर्ट 2018 पर विस्तार से चर्चा की। हालांकि अधिकतर ने अपनी शिकायत सरकारी अफसरों की कार्यशैली को लेकर दर्ज कराई। साथ ही कहा कि अगर सुधार की पहल खुद से की जाए तो सबसे बेहतर होगा। कार्यक्रम में विषय प्रवर्तन संपादकीय प्रभारी आनंद शर्मा व संचालन रेडियो सिटी के आरजे राघव ने किया।

इन बिंदुओं पर दें ध्यान तो बन सकती बात
-भूजल संरक्षण को लेकर सरकारी कार्यालयों में रेनवाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था बेहतर व अनिवार्य की जाए
-आवारा जानवरों को शहर से बाहर किया जाना चाहिए
-देश के प्रमुख शहरों से शहर की हवाई सेवा का जुड़ाव हो
-यातायात व्यवस्था बेहतर करने के लिए अफसर अपनी जिम्मेदारी समझें

बोलीं महापौर, ये दिखेगा बदलाव
-अलग-अलग स्थानों पर आठ आधुनिक कूड़ाघर बनेंगे
-ओपेन जिम का आमजन लाभ ले सकेंगे
-परिवार संग कछुआ तालाब जा सकेंगे
-शेखपुर में कान्हा उपवन बनेगा
-कूड़ा उठान के लिए 200 गाडिय़ां आएंगी

आमजन से जुड़ी जो भी समस्याएं हैं, उनके समाधान के लिए विभागों के बीच आपसी सामंजस्य होना बहुत जरूरी है। मेरा मानना है कि शहर के विकास को लेकर जो भी वह ठोस हो।
लखन लाल ओमर, उपाध्यक्ष छावनी परिषद

शहर के विकास के लिए सबसे पहले बच्चों में नैतिकता को विकसित करना होगा। उन्हें अगर हम अच्छा नागरिक बना लें तो तमाम परेशानियां दूर हो जाएंगी। किसी भी क्षेत्र में विकास के लिए शिक्षा बहुत मायने रखती है।
-अनुराधा वार्ष्णेय, सीनियर वाइस चेयरपर्सन फिक्की फ्लो लखनऊ कानपुर चैप्टर

कहीं न कहीं राजनीतिक कारणों से शहर का विकास नहीं हो पा रहा पर मौजूदा समय में सभी स्थितियां एक ही सरकार के पक्ष में हैं। इसलिए अब उम्मीद पहले की अपेक्षा ज्यादा है। शहर में सड़क आएदिन टूट रही हैं अगर इनमें बिटुमिन के साथ केमिकल का प्रयोग करें तो बेहतर होगा।
- सुनील शरण गर्ग, महासचिव पेट्रोल एंड एचएसडी डीलर्स एसोसिएशन

मेरा मानना है कि शहर का जो विकास हुआ, वह अनियोजित ढंग से किया गया। बीच सड़क पर इमारतें खड़ी की गईं, ये कहां से उचित है। कानून व्यवस्था समेत कई व्यवस्थाओं में सुधार की बहुत जरूरत है।
भूधर नारायण मिश्र, पूर्व विधायक

सही समय पर काम न होने से शहर की दुर्दशा है। चाहे शिक्षा का क्षेत्र हो या स्वास्थ्य, स्थिति दयनीय है। आवारा जानवर बेलगाम हो चुके हैं। उद्योगों का नुकसान हो रहा है। इसलिए समग्र रूप से व्यवस्थाएं सुधरनी चाहिए, तभी हमारा शहर स्मार्ट दिखेगा।
टीकम चंद्र सेठिया, अध्यक्ष लायंस क्लब ऑफ कानपुर गैंजेज

अगर कोई अच्छा काम कर रहा तो थोड़ी परेशानी शुरुआती दौर में होती है। फिर चाहे वह प्लास्टिक पर प्रतिबंध की बात ही क्यों न हो। आधा शहर अतिक्रमण में है, ये मेरे संज्ञान में है। सभी दिक्कतें तब दूर होंगी, जब हम खुद में सुधार करेंगे।
प्रमिला पांडेय, महापौर

शहर के विकास को लेकर सबसे जरूरी है कि योजनाएं बनाई जाएं। घर बैठकर नक्शा बनाने से कुछ नहीं होगा। इस शहर में नागरिकता का अभाव है। लोगों को ये बात गंभीरता से समझनी होगी। भ्रष्टाचार जिस तेजी से बढ़ रहा है, उस पर अंकुश लगना चाहिए।
श्याम बिहारी मिश्रा, पूर्व सांसद व अध्यक्ष उप्र उद्योग व्यापार मंडल

इस शहर में मानवता बहुत है। अगर हम अपने घर को साफ-सुथरा और सुंदर बना लेंगे तो जो हमारे घर आएगा वह उससे सीख ले सकेगा। इसलिए हमें यह सोचना होगा कि शहर का विकास तभी संभव है, जब हम खुद से इसकी शुरुआत कर देंगे।
डॉ. संध्या ठाकुर, प्रवक्ता संस्कृत विभाग कानपुर विद्या मंदिर

समस्या कोई भी हो, वह तभी हल होती है जब उसके लिए कोई अपनी जिम्मेदारी समझता है। इससे ही शहर के विकास को जोड़ा जाना चाहिए। सभी समस्याओं का एक खाका तैयार हो, उसके बाद संबंधित विभाग के अफसरों की जिम्मेदारी तय हो। अगर उन्होंने काम नहीं किया तो उनसे कारण पूछा जाना चाहिए।
प्रभा सिंह, समाजसेवी

सरकारी संसाधनों की बिना मदद लिये हमें विकास के लिए छोटे-छोटे कदम उठाए जाने चाहिए। एक-एक वार्ड से चाहे सफाई का काम हो या कोई और। इसकी शुरुआत करनी चाहिए। प्राथमिक विद्यालयों से लेकर महाविद्यालयों तक छात्र-छात्राओं को जागरूक किया जाए। समस्या कहां पर, सबसे पहले ये देखा जाए।
डॉ. हरीश शर्मा, समाजसेवी

यह शहर सीएसआर फंड का हब है पर इसे खर्च करने को लेकर लोगों में उत्साह नहीं है। वहीं विकास से संबंधित जो राज्य का बजट आता है, वह हर वर्ष वापस होता है। इसका प्रबंधन बेहतर ढंग से होना चाहिए। इससे कहीं न कहीं विकास की अलख जरूर जगेगी।
नीलम चतुर्वेदी, संयोजिका सखी केंद्र

इस शहर में विकास को लेकर संभावनाएं अपार हैं। हालांकि आमजन अनुशासन के मामले में कमजोर हैं। इसमें सुधार होना चाहिए। वहीं जो स्माल स्केल इंडस्ट्री कम हो रही हैं, उस दिशा में सरकार प्रयास करे। हवाई सेवा को लेकर दिल्ली के लिए फ्लाइट शुरू जरूर हुई पर इस सेवा को और बेहतर किए जाने की जरूरत है।
नवीन खन्ना, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आइआइए

इस शहर का हर व्यक्ति यहीं रहना चाहता है। कुछ कमियां हैं, बस उन्हें दूर करने की जरूरत है। ध्यान देने की बात ये है कि जो छोटी-छोटी समस्याएं हैं, उनका निराकरण किया जाए। इसके लिए सभी जिम्मेदार हैं, और उन्हें इस बात को समझना होगा।
अजय कपूर, पूर्व विधायक


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