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200 से अधिक अपात्रों के नाम प्रधानमंत्री आवास आवंटन कराने के मामले में पीडी समेत 22 अफसरों को कारण बताओ नोटिस

सूची में नीचे के नामों को ऊपर कर दिया और उनके नाम आवास आवंटित करा दिए। यह मामला परियोजना निदेशक केके पांडेय ने पकड़ा और फिर कार्रवाई की संस्तुति की गई। सीडीओ ने लेखाकरों और ग्राम्य विकास अधिकारियों और पंचायत सचिवों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया

By Akash DwivediEdited By: Published: Fri, 26 Mar 2021 08:28 AM (IST)Updated: Fri, 26 Mar 2021 09:27 AM (IST)
200 से अधिक अपात्रों के नाम प्रधानमंत्री आवास आवंटन कराने के मामले में पीडी समेत 22 अफसरों को कारण बताओ नोटिस
13 ग्राम्य विकास अधिकारियों और तीन लेखाकारों पर पात्रता सूची में गड़बड़ी करने का आरोप

कानपुर, जेएनएन। दो सौ से अधिक अपात्रों के नाम प्रधानमंत्री आवास आवंटन कराने वाले 18 सचिवों तीन खंड विकास अधिकारियों पर कार्रवाई होगी। सीडीओ ने परियोजना निदेशक डीआरडीए, तीनों बीडीओ और सचिवों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। ये खंड विकास अधिकारी बिल्हौर, चौबेपुर और कल्याणपुर ब्लाक में तैनात हैं। पीएम आवास आवंटन में कल्याणपुर, बिल्हौर और चौबेपुर ब्लाक में गड़बडिय़ां मिलीं थीं। यहां के खंड विकास अधिकारियों, पांच पंचायत सचिवों, 13 ग्राम्य विकास अधिकारियों और तीन लेखाकारों पर पात्रता सूची में गड़बड़ी करने का आरोप है।

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इन लोगों ने सूची में नीचे के नामों को ऊपर कर दिया और उनके नाम आवास आवंटित करा दिए। यह मामला परियोजना निदेशक केके पांडेय ने पकड़ा और फिर कार्रवाई की संस्तुति की गई। सीडीओ ने लेखाकरों और ग्राम्य विकास अधिकारियों और पंचायत सचिवों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया। साथ ही तीनों ब्लाकों के खंड विकास अधिकारियों को नोटिस जारी किया। उन्होंने अब परियोजना निदेशक को भी कारण बताओ नोटिस जारी किया है। सीडीओ डॉ. महेंद्र कुमार के आदेश पर कराए गए सत्यापन में 278 अपात्रों के नाम सूची में पाए गए हैं। उनके पास पक्के मकान हैं। नौ मृतकों, गांव से पलायन करने वाले 12 परिवारों, मनरेगा का जॉबकार्ड न रखने वाले 155 लोगों के नाम सूची से हटाए जाएंगे। मृतकों के आश्रितों के नाम सूची में जोड़े जाएंगे।

विधायक के फर्जी लेटरपैड पर शिकायत : विधायक अभिजीत सिंह सांगा के फर्जी लेटरपैड पर डीआरडीए के परियोजना निदेशक केके पांडेय के विरुद्ध ग्राम्य विकास मंत्री को पत्र लिखा गया है। मंत्री को लिखे पत्र में कहा गया है कि उनके कार्यकाल में हुए कार्यों की जांच करा ली जाए। जब विधायक को इस संबंध में जानकारी हुई तो उन्होंने मंत्री को पत्र लिखकर फर्जी पत्र लिखे जाने की बात कही। विधायक ने कहा कि उनके द्वारा कोई पत्र नहीं लिखा गया है। अगर पत्र लिखना भी होता तो विधानसभा सदस्य के अधिकृत लेटरपैड पर लिखता। 


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