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फ्लोरिडा के कास्मिक फिल्म फेस्टिवल में बुंदेलखंड की 'मास्साब' चयनित

बांदा के खुरहंड गांव में पले-बढ़े शिवा सूर्यवंशी की पहली फिल्म है।

By AbhishekEdited By: Published: Sun, 14 Apr 2019 02:45 PM (IST)Updated: Sun, 14 Apr 2019 02:45 PM (IST)
फ्लोरिडा के कास्मिक फिल्म फेस्टिवल में बुंदेलखंड की 'मास्साब' चयनित
फ्लोरिडा के कास्मिक फिल्म फेस्टिवल में बुंदेलखंड की 'मास्साब' चयनित

बांदा, [जागरण स्पेशल]। सूखी धरती और पत्थर के पहाड़ों वाले बुंदेलखंड का नाम एक होनहार ने सात समंदर पार रोशन किया है। सूखाग्रस्त और विकास से अछूते क्षेत्र के रूप वाली छवि के बीच बुंदेलखंड को फिल्मी दुनिया में जगह दिलाई है। यहां पर बनाई फिल्म मास्साब को फ्लोरिडा के कास्मिक फिल्म फेस्टिवल में नामित किया गया है। इस बनाने वाले शिवा सूर्यवंशी बॉलीवुड में बुंदेली प्रतिभा के झंडे गाड़ रहे हैं और उन्हें कई फिल्मफेयर अवार्ड और पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है।

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जानें, कौन है ये शिवा सूर्यवंशी

बांदा के खुरहंड गांव निवासी शिवा सूर्यवंशी के पिता लालबहादुर सिंह सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य हैं और माता रोहिणी गृहणी हैं। उसके दो बड़े भाई शिक्षक हैं। शिवा ने प्राथमिक से जूनियर तक गांव में ही शिक्षा हासिल की। शहर के एक कॉलेज से इंटरमीडिएट करके उन्होंने मुंबई का रुख किया, वहीं से स्नातक और एक्टिंग की डिग्र्री हासिल की। शिवा ने अकेला नाम के एलबम से अपनी धमाकेदार शुरुआत की थी।

प्राथमिक शिक्षा पर आधारित है फिल्म

शिवा ने भारत की प्राथमिक शिक्षा पर आधारित एक अनूठी फिल्म मास्साब पर काम किया। इस फिल्म की कहानी खुद शिव ने लिखी थी। खास बात यह है कि मास्साब की शूटिंग भी उन्होंने बुंदेलखंड में की। दिसंबर 2016 तक बांदा के खुरहंड, बड़ोखर, कालिंजर, अतर्रा व बिलगांव गांव में फिल्माई गई इस फिल्म के जरिए शिवा ने सफलता के झंडे गाड़ दिए। फिल्म को अब तक कई अवार्ड मिल चुके हैं।

बुंदेलखंड के परिवेश ने दी प्रेरणा

शिवा को इस फिल्म की प्रेरणा बुंदेलखंड के सामाजिक परिवेश से ही मिली। वर्तमान में शिवा मुंबई में फिल्म व रंगमंच में सक्रिय हैं। एक कलाकार के तौर पर मास्साब उनकी पहली हिंदी फिल्म है, हालांकि इससे पहले वह अंग्रेजी फिल्म द डेड एंड में हीरो की भूमिका निभा चुके हैं। शिवा सूर्यवंशी अभिनय के अलावा लेखन में भी रूचि रखते हैं और मास्साब उनकी खुद की लिखी कहानी है। पिता लालबहादुर सिंह कहते हैं शिवा बचपन से ही मेधा का धनी रहा है। उसे फिल्म में काम करने का शौक था। इंटर में ही वह मंचों पर गाना और अन्य कार्यक्रम पेश करने में कोई संकोच नहीं करता था। आज उसकी सफलता पर हमें व उसकी मां रोहणी को नाज है।

ये आवार्ड आए झोली में

जनवरी 2018 में जयपुर में आयोजित राजस्थान अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह में फिल्म को दो महत्वपूर्ण अवार्ड मिले। पहला बेस्ट फिल्म क्रिटिक के लिए और दूसरा अवार्ड बेस्ट एक्टर के लिए। मार्च 2018 में नासिक में आयोजित दादा साहब फाल्के नासिक अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह में गोल्डन कैमरा अवार्ड और बेस्ट ङ्क्षहदी फिल्म के लिए मास्साब चुनी गई। 25 से 27 मई 2018 तक रांची में आयोजित झारखंड अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह में स्पेशल ज्यूरी अवार्ड व बेस्ट ङ्क्षहदी फीचर फिल्म का अवार्ड मिल चुका है। खास बात यह है कि फिल्म मास्साब को अमेरिका के फ्लोरिडा में आयोजित हुए कास्मिक फिल्म फेस्टिवल में भी चुना गया।


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