लॉकडाउन में भूख से मर गईं साढ़े चार लाख मछलियां, 50 लाख से ज्यादा का नुकसान
खाना न मिलने से दुकानों में बंद होने के कारण मरने वालों में मछलियों के अलावा कुत्ते व बिल्ली के बच्चे और खरगोश भी हैं।
कानपुर, जेएनएन। लॉकडाउन के बाद से पूरा शहर बंद कर दिए जाने से पेट्स (पालतू पशु) शॉप भी बंद हो गई थीं। इससे शहर के कारोबारियों को करीब 50 लाख से ज्यादा का नुकसान हुआ है। दुकानों में बंद रहने के कारण खाना न मिलने से मरने वालों में मछलियों के अलावा कुत्ते व बिल्ली के बच्चे, खरगोश भी हैं। शहर में करीब 250 पेट्स शॉप हैं, इसमें 150 फुटकर दुकानदार और करीब सौ होल सेलर्स हैं। इन दुकानों पर प्रतिदिन करीब 10 लाख का कारोबार होता था।
उप्र पेट्स शॉप वेल्फेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष विनय दीक्षित ने बताया, लॉकडाउन एक में किसी भी दुकान के खुलने के आदेश नहीं थे। इस दौरान सभी मछलियां एक्योरियम में बंद रह गईं। दाना और पानी न बदलने से पूरे शहर के एक्वेरियम में बंद साढ़े चार लाख मछलियां तड़प कर मर गईं। उन्होंने बताया कि शहर में फैंसी मछलियों का प्रतिदिन 10 लाख का कारोबार होता है।
जानें-कारोबारियों ने क्या कहा
- लॉकडाउन एक में दुकान नहीं खुली। इस वजह से दुकान में 25 हजार से ज्यादा कीमत की एक हजार मछलियां मर गई हैं। इससे बहुत नुकसान हुआ। -विवेक अरोड़ा, कारोबारी
- लॉकडाउन से तीन दिन पहले ही 700 मछलियां मंगाई थीं। इसमें से सिर्फ 40 मछलियां ही बिक पाई थीं। लॉकडाउन के बाद देखरेख न होने से मछलियां मर गईं।-सुशील पांडेय, कारोबारी
- लॉकडाउन से पहले दुकान में 20 हजार की मछलियां मंगवाई थीं। इससे पहले 15 हजार की मछलियां रखी थीं। दुकान न खुलने के कारण सब मछलियां मर गईं। -विनय दीक्षित, प्रदेश अध्यक्ष
- मछलियों को 24 घंटे दाना न मिले तो वह मर जाती हैं। लॉकडाउन-2 में कारोबारियों ने दुकान खोलीं तो एक्वेरियम में मछलियां मरी मिलीं। -अवनीश सिंह चौहान, प्रदेश महामंत्री