मनीष गुप्ता हत्याकांड : हत्यारोपित पुलिसकर्मियों की न्यायिक हिरासत 10 जनवरी तक बढ़ी, नहीं पहुंची सीबीआइ टीम
गुरुवार को दोपहर बाद वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए आरोपितों की पेशी हुई लेकिन सीबीआइ टीम मौजूद नहीं थी। माना जा रहा है कि अगली तारीख तक सीबीआइ विवेचना का निस्तारण करने के साथ ही आरोपितों को गोरखपुर जेल से ले जाएगी।
कानपुर, जागरण संवाददाता। कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता हत्याकांड में आरोपित पुलिसकर्मियों की न्यायिक अभिरक्षा मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने 10 जनवरी तक बढ़ा दी है। गुरुवार को दोपहर बाद वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए आरोपितों की पेशी हुई, लेकिन सीबीआइ टीम मौजूद नहीं थी। माना जा रहा है कि अगली तारीख तक सीबीआइ विवेचना का निस्तारण करने के साथ ही आरोपितों को गोरखपुर जेल से ले जाएगी।
सीबीआइ टीम के लखनऊ से गुरुवार की सुबह गोरखपुर पहुंचने की उम्मीद थी, लेकिन टीम नहीं पहुंची। अपराह्न दो बजे विवेचक की तरफ से एपीओ प्रार्थना पत्र लेकर सीजेएम के न्यायालय में पहुंचे, जिसमें आरोपितों की न्यायिक हिरासत बढ़ाने का अनुरोध किया गया था। इसके बाद मनीष हत्याकांड के आरोपित निलंबित इंस्पेक्टर जगत नारायण (जेएन) सिंह, दारोगा अक्षय मिश्रा, राहुल दूबे, विजय यादव, मुख्य आरक्षी कमलेश यादव व आरक्षी प्रशांत की वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये पेशी हुई। अदालत ने विवेचक के प्रार्थना पत्र को स्वीकार करते हुए सभी आरोपित पुलिसकर्मियों की न्यायिक हिरासत 10 जनवरी तक बढ़ा दी। दो माह से मामले की जांच कर रही सीबीआइ घटना से जुड़े सभी लोगों का बयान दर्ज कर चुकी है। अब आरोप पत्र दाखिल करने की तैयारी है। माना जा रहा है कि 10 जनवरी को आरोप पत्र दाखिल कर सीबीआइ आरोपित पुलिसकर्मियों को अपने साथ ले जाएगी।
यह है मामला :
दोस्तों के साथ गोरखपुर घूमने आए कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता की 27 सितंबर की रात तारामंडल क्षेत्र के होटल कृष्णा पैलेस में पुलिसकर्मियों ने पीटकर हत्या कर दी। मनीष की पत्नी मीनाक्षी की तहरीर पर रामगढ़ताल थाने के तत्कालीन थाना प्रभारी जेएन ङ्क्षसह समेत छह पुलिसवालों पर हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया था। मामले की जांच पहले गोरखपुर क्राइम ब्रांच फिर एसआइटी कानपुर को दी गई। दो नवंबर को सीबीआइ ने मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच शुरू की। 11 नवंबर को मामले की जांच करने गोरखपुर आई सीबीआइ की टीम तबसे मामले की जांच कर रही है।