मंधना-भौंती बाईपास बने तो कानपुर शहर के अंदर बाहरी वाहनों की होगी नो-इंट्री, मिलेगी जाम से मुक्ति
कानपुर शहर में मंधना -भौंती बाईपास के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली कमेटी भी सैद्धांतिक सहमति दे चुकी है। इसके बावजूद अफसरों की तमाम कोशिशों के बाद भी महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट धरातल पर नहीं आ सका है ।
कानपुर, जेएनएन। शहर में 105 किलोमीटर लंबे आउटर रिंग रोड के बनने से पहले अगर मंधना-भौंती बाईपास बन जाए तो जाम की बड़ी समस्या खत्म हो जाएगी। इसके बनने से प्रयागराज, झांसी, हमीरपुर, लखनऊ, दिल्ली या फिर अलीगढ़ की ओर जाने वाले वाहनों के लिए बिना शहर में घुसे बाहर ही बाहर निकालना संभव हो सकेगा। वहीं, लखनऊ की ओर जाने वाले मंधना से बैराज होते लखनऊ हाईवे पर पहुंच सकते हैं। यही रूट उधर से अलीगढ़ की ओर जाने वाले वाहनों का हो सकता है।
बशर्ते इस प्रोजेक्ट को मूर्त रूप देने के लिए गंभीर प्रयास हों। अभी तो यह प्रोजेक्ट वर्षों से फाइलों में ही बंद है। एक दो नहीं, बल्कि दो दर्जन से अधिक बैठकें सपा शासन में हुईं तो आधा दर्जन इस सरकार में भी हो चुकी हैं। मंडलायुक्त स्तर पर इस प्रोजेक्ट को धरातल पर लाने को लेकर उच्च स्तरीय समग्र विकास समिति की बैठकों में चर्चा हुई। डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनी और सपा शासनकाल में मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली कमेटी ने सैद्धांतिक सहमति भी दी, लेकिन हुआ कुछ नहीं।
इटावा, हमीरपुर और झांसी हाईवे से जुड़ जाएगी जीटी रोड
9.50 किलोमीटर बाईपास के बनने से जीटी रोड, कानपुर-इटावा हाईवे और कानपुर- झांसी हाईवे से जुड़ जाएगी। अलीगढ़ की ओर से आने वाले लोग नौबस्ता होते हुए हमीरपुर की ओर भी जा सकेंगे। यह बाईपास नौ गांवों से होकर गुजरेगा। भविष्य में इसे रिंग रोड का हिस्सा भी बनाया जा सकेगा।
रिंग रोड के लिए अलग से सड़क बनाने की जरूरत नहीं होगी, क्योंकि रिंग रोड भी चार लेन प्रस्तावित है और बाईपास भी। अभी बाईपास या रिंग रोड न होने की वजह से वे भारी वाहन जो हरदोई, सीतापुर, अलीगढ़ की ओर से आ रहे और हमीरपुर की ओर जाना है तो चौबेपुर के पास ही रुकते हैं और नो इंट्री खत्म होने के बाद पनकी होते हुए जाते हैं। बाईपास होगा तो उन्हेंं रुकना ही नहीं पड़ेगा। हमीरपुर और झांसी की ओर से आने वाले वाले वाहन भी आसानी से निकल जाएंगे।
यहां फंसा है पेच
पांच साल पहले जब यह प्रोजेक्ट बना तो उच्चस्तरीय समग्र विकास समिति की बैठक में तय किया गया कि लोक निर्माण विभाग डीपीआर बनाकर देगा और केडीए इसका निर्माण करेगा। केडीए इसके किनारे टाउनशिप बसाएगा, लेकिन भूमि अधिग्रहण और निर्माण में लागत इतनी अधिक थी कि केडीए ने कदम वापस खींच लिया। इसके बाद तय किया गया कि इस बाईपास के समीप ही उप्र राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण का औद्योगिक क्षेत्र बसेगा, इसलिए वह भी मदद करे। बात आगे नहीं बढ़ी तो तय किया गया कि इसके लिए सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय से धन लिया जाए। प्रस्ताव बना और 2017 में भेजा गया, पर मंत्रालय से फाइल स्वीकृत नहीं हुई।
भारत माला परियोजना से होना था काम
दो साल पहले तत्कालीन डीएम सुरेंद्र सिंह ने सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के संयुक्त सचिव अमित घोष से मुलाकत करके इस प्रोजेक्ट की उपयोगिता बताई थी। तब भारत माला परियोजना से इसके निर्माण पर सहमति बनी थी, लेकिन बैठक तक ही यह प्रोजेक्ट सीमित रहा। अगर वहां से प्रोजेक्ट को हरी झंडी मिल जाती तो लोक निर्माण विभाग की वित्त कमेटी प्रोजेक्ट को स्वीकृत कर डीपीआर मंत्रालय को भेजती और फिर भारत माला परियोजना से धन की व्यवस्था होती, लेकिन 2019 में उच्च स्तरीय समग्र विकास समिति की बैठकें न होना प्रोजेक्ट के ठंडे बस्ते में जाने का कारण बना।
अब मंडलायुक्त ने दिखाई है रुचि
मंडलायुक्त डॉ. राजशेखर ने इस प्रोजेक्ट को लेकर गंभीरता दिखाई है। पिछले दिनों उच्च स्तरीय समग्र विकास समिति की बैठक में उन्होंने इस प्रोजेक्ट पर आगे बढऩे का आदेश दिया था। उन्हेंं समग्र विकास समिति के समन्वयक नीरज श्रीवास्तव ने बताया कि इसका निर्माण जीटी रोड चौड़ीकरण प्रोजेक्ट से लिंक करके किया जा सकता है। अब समिति की जल्द होने वाली बैठक में शासन स्तर पर इस प्रोजेक्ट की पैरवी करने पर चर्चा होगी।
प्रोजेक्ट पर एक नजर
- 30 मीटर चौड़ा और चार लेन बाईपास का है प्रस्ताव।
- 9.50 किलोमीटर लंबा बनना है बाईपास।
- 09 गांवों की 52.39 हेक्टेयर भूमि ली जानी है।
-3.68 अरब रुपये प्रोजेक्ट की लागत आएगी।
इन्होंने कही ये बात
- बाईपास का निर्माण कराने के लिए जनप्रतिनिधियों को गंभीर प्रयास करने चाहिए। अफसर तो प्रोजेक्ट बनाकर शासन को भेज देंगे, लेकिन जब तक सांसद और विधायक पैरवी नहीं करेंगे कुछ भी नहीं होगा। -मनोज बंका, प्रांतीय अध्यक्ष पीआइए
- यह बाईपास पनकी, दादानगर, फजलगंज और मंधना- चौबेपुर औद्योगिक क्षेत्र के उद्यमियों के लिए वरदान साबित होगा। जब यूपीसीडा का मंधना में औद्योगिक क्षेत्र बसेगा तो वहां निवेश भी आसानी से होगा। - आलोक अग्रवाल, मंडल अध्यक्ष आइआइए
- बाईपास बनाने के नाम पर अभी तक सिर्फ बातों के छल्ले ही बनाए गए हैं। न तो प्रशासन स्तर से गंभीर प्रयास हुआ और न जनप्रतिनिधियों की तरफ से। शहर का जाम खत्म करना है तो बाईपास का निर्माण करना ही होगा। - उमंग अग्रवाल, महामंत्री फीटा