सहयोग से समाधान: ग्राहक के साथ होटल स्टाफ की सुरक्षा का ध्यान रखकर जीता लोगों का विश्वास
अनलॉक के दौरान रेस्टोरंट और होटल संचालकों ने लोगों की सुरक्षा के मद्देनजर अपनी-अपनी दुकानों को बंद रखने का निर्णय लिया था। सागर रत्ना के प्रबंध निदेशक सौरभ बंसल ने जहां अपने रेस्टोरेंट को पूरी तरह तरह सैनिटाइज करने पर जोर दिया।
कानपुर, जेएनएन। भारत में कोरोना की दस्तक के साथ ही लोग सबसे ज्यादा अपने स्वास्थ्य आैर स्वजन की सुरक्षा को लेकर को लेकर चिंतित हैं। इसकी वजह से बड़ी संख्या में लोगों ने अपने खानपान की आदतों में बदलाव किया। खाने-पीने की चीजों लोग बहुत ही सोच विचार कर ले रहे थे। अनलाॅक के शुरुआती दौर में भी लोग बाहर की बनी चीजों को बहुत सोच विचार कर खा रहे थे। इस दौरान रेस्टोरंट और होटल संचालकों ने लोगों की सुरक्षा के मद्देनजर अपनी-अपनी दुकानों को बंद रखने का निर्णय लिया था। शाम को परिवार के साथ बाहर घूमने जाना और बाहर ही डिनर करना भी बंद हो गया था। एेसे में रेस्टोरेंट के सामने सबसे बड़ा काम अपने ग्राहकों का दोबारा विश्वास जगाना था कि उनका रेस्टोरेंट पूरी तरह सुरक्षित और सैनिटाइज है, इसके अलावा उनके यहां से जो भी खाने की चीज जाती है, वह भी पूरी तरह सुरक्षित है। इसी विश्वास को ग्राहकों मेें जमाने के लिए सागर रत्ना के प्रबंध निदेशक सौरभ बंसल ने जहां अपने रेस्टोरेंट को पूरी तरह तरह सैनिटाइज करने पर जोर दिया।
समाधान 1 - डिलीवरी ब्वॉय के स्वास्थ्य की जांच कराकर जीता विश्वास
होम डिलीवरी के लिए फूड आइटम को बनाने वाले शेफ से लेकर डिलीवरी ब्वाॅय तक के स्वास्थ्य की जांच की गई। इसका लाभ यह हुआ कि ग्राहकों के बीच रेस्टोरेंट का विश्वास बहुत तेजी से जमा। ग्राहकों की संख्या एक बार फिर बहुत तेजी से बढ़ी। शाम को फिर रेस्टोरेंट पहले की तरह गुलजार हो जाता है, हालांकि सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए पहले के मुकाबले बहुत कम टेबल कर दी गई हैं। सौरभ बंसल के मुताबिक 22 मार्च को जनता कर्फ्यू के दिन से ही रेस्टोरेंट बंद हो गया था। इसके बाद जून से दोबारा शुरुआत हुई।
समाधान 2- पैकेट पर ही अंकित किया शेफ, पैकिंग करने वाले और डिलीवरी ब्वॉय का तापमान
ग्राहकों के बीच फेसबुक, इंस्टाग्राम, वाट्सएप सभी तरह से रेस्टोरेंट खुलने की जानकारी दी गई। जून से होम डिलीवरी शुरू कर दी गई थी। इसमें खाना बनाने से लेकर उसे भेजने तक हर स्तर पर पूरी सुरक्षा का ध्यान रखा गया। खाना बनाने वाले शेफ, उसे पैक करने वाले कर्मचारी और डिलीवरी करने वाले कर्मचारी सभी के शरीर का तापमान थर्मल स्कैनिंग मशीन से लिया जाता है। तीनों का ही टेम्प्रेचर पैकिंग वाले लिफाफे के ऊपर लिखा रहता है ताकि ग्राहक को जानकारी रहे कि उसने जिस खाने का आॅर्डर किया, उसे किस टेम्प्रेचर वाले लोगों ने छुआ है। पैकिंग को और सुरक्षित करने के लिए उसे एक्सट्रा शीट लगाई गई। इसके अलावा बैग के बाहर के हिस्से पर सैनिटाइजर का एक पाउच भी लगाया गया। दिनभर में स्टाफ का दो बार टेम्प्रेचर लिया जाता है। सितंबर से रेस्टोरेंट में भोजन की व्यवस्था शुरू की गई। ग्राहकों में आपस में पहले के मुकाबले दूरी बनी रहे। इसके लिए 29 टेबल को आधा कर दिया गया। इससे रेस्टोरेंट के अंदर काफी खाली जगह निकल आई और ग्राहकों को एक टेबल से दूसरी टेबल के बीच इतनी जगह मिल गई है कि उन्हें रेस्टोरेंट में बैठने में किसी तरह की कोई समस्या नहीं होती है। इसके साथ ही जैसे ही ग्राहक रेस्टोरेंट में आता है तो उसके हाथों को बाहर ही सैनिटाइज किया जाता है। इसके बाद थर्मल स्कैनिंग से उसका तापमान भी लिया जाता है।
समाधान 3 - इको फ्रेंडली कटलरी का इस्तेमाल कर बटोर रहे वाहवाही
इसके साथ ही रेस्टोरेंट से स्टील कटलरी पूरी तरह खत्म कर दी गई है। अब पूरी कटलरी शुगर केन की है। इसमें प्लेट, चम्मच हैं। पानी की गिलास की जगह कागज के गिलास हैं ताकि एक बार इस्तेमाल होने के बाद उन्हें दोबारा प्रयोग में ना लाया जा सके। यह पूरी तरह इको फ्रेंडली भी है। इसका लोगों में अच्छा संदेश जा रहा है। साथ ही अच्छा फीड बैक भी मिल रहा है। जैसे-जैसे ग्राहक आए, उनका अच्छा अनुभव रहा तो उन्होंने इसको अपने करीबियों से भी शेयर किया। इस माउथ पब्लिसिटी का भी बहुत अच्छा प्रभाव पड़ा। रोज पहले के मुकाबले ग्राहकों की संख्या बढ़ती गई। नवरात्र के दौरान भी बहुत अच्छी संख्या में लोग अाए क्योंकि रेस्टोरेंट में नवरात्र से जुड़ा खाना तो मिलता ही है, इसके अलावा पूरे नवरात्र के दौरान किसी भी तरह का खाना लें, उसमें लहसुन नहीं डाला जाता। वह चाहें चाइनीज हो, इटैलियन या कांटिनेंटल। सबकुछ बिना लहसुन के बनता है