सहयोग से समाधान: डिजिटल से संपर्क बढ़ाया, घर का सपना सच कर दिखाया
अनलॉक में भवन निर्माण शुरू हुआ तो यशोदा नगर स्थित सैनिक चौराहा के पास सामग्री दुकानदार बघेल ट्रेडिंग के विपिन कुमार ने मुश्किलों को पीछे छोड़कर सोशल मीडिया से ग्राहकों को जोड़ा और आर्डर पर कुछ ही देर में माल पहुंचाया।
कानपुर, जेएनएन। अपने घर का सपना किसका नहीं होता। बहुत बड़ी ना सही छोटी ही सही लेकिन अपनी छत अपनी ही होती है। इन्हीं सपनों के साथ हर समय बड़ी संख्या में लोग अपने घरों के सपने को पूरा करने में लगे रहते हैं। लाॅकडाउन हुआ तो भवन निर्माण के कार्य जहां के तहां रुक गए थे। मजदूर लौट चुके थे। भवन निर्माण सामग्री की दुकानें बंद हो गई थीं। भवन स्वामी अपने अधूरे भवन को देख देख कर परेशान हो रहे थे। अनलाॅक हुआ तो संक्रमितों की संख्या भी तेजी से बढ़ने लगी। अब दुकानें तो खुली हुई थीं लेकिन घर बनाने वाले कुछ डर, कुछ झिझक की वजह से बाहर नहीं निकलना चाह रहे थे। एेसे में भवन निर्माण सामग्री बेचने वाले विपिन कुमार धनगर ने डिजिटल साधनों का प्रयोग किया। उन्होंने जहां भी निर्माण सामग्री की जरूरत थी वहां तक माल पहुंचाया और लोगों के घरों के सपनों को पूरा करने में मदद की।
समाधान1: फेसबुक, इंस्टाग्राम और वाट्सएप से जोड़े ग्राहक
यशोदा नगर स्थित सैनिक चौराहा के पास बघेल ट्रेडिंग के प्रोपराइटर विपिन कुमार धनगर बताते हैं कि सबकुछ एक साथ रुक गया था। भवन निर्माण सामग्री में वह सीमेंट, मौरंग, सरिया सब बेचते हैं लेकिन उस दौर में कुछ नहीं बिक रहा था। भवन निर्माण के कार्य से जो लोग जुड़े होते हैं उनमें ज्यादातर रोज कमाने वाले होते हैं। उन लोगों के सामने भी संकट पैदा हो गया था लेकिन जैसे ही अनलाॅक हुआ उन्होंने फेसबुक, इंस्टाग्राम, वाट्सएप के जरिए पहुंच बनाई। भवन निर्माण सामग्री में बहुत कुछ एेसा नहीं होता जिसमें ग्राहक को सामने आकर देखना पड़े। सीमेंट भी ब्रांड की होती है और सरिया भी।
मौरंग और गिट्टी में भी बहुत ज्यादा कुछ देखना नहीं होता। इसलिए जिनके भी काम रुके हुए थे, उन्होंने तुरंत आॅर्डर देने शुरू कर दिए। माल लेने के लिए आने वाले जिन लोगों के फोन नंबर अपने पास थे, उन्हें फोन मिलाकर भी सूचना दी गई। 1995 में भवन निर्माण सामग्री कार्य शुरू करने वाले विपिन के मुताबिक घर लोगों की भावनाओं से जुड़ा होता है। इसलिए जिस दुकान से एक बार अच्छा सामान और सेवा मिल जाती है, ग्राहक उसी दुकानदार के पास बार-बार आना चाहता है क्योंकि वह घर के लिए सबसे अच्छी चीजों को वाजिब दाम पर चाहता है।
समाधान2: आर्डर के कुछ ही देर बाद पहुंचाया माल
शहरी आबादी के बाहरी क्षेत्र में दुकान है और नए क्षेत्रों में घरों का निर्माण भी शहर की बीच की आबादी के मुकाबले कई गुना होता है। इसके चलते मांग भी बहुत अधिक थी। सीमेंट, सरिया, मौरंग, गिट्टी सब कुछ चाहिए था। इसलिए इस बात का भी पूरा प्रयास किया जाता रहा कि उनके पास भी लगातार माल आता रहे क्योंकि एेसा ना होने पर सप्लाई रुक जाती और उसका प्रभाव गलत पड़ता।
ग्राहकों के आॅर्डर देने के कुछ देर बाद ही उनका माल पहुंच जाता था। इससे ग्राहक भी खुश थे। अच्छी सेवा का प्रभाव आज भी दिख रहा है। बहुत से लोग जिन्होंने नवरात्र में अपने नए कार्य शुरू किए हैं। उन्होंने भी खूब माल लिया। हालांकि बहुत से ग्राहक अब भी दुकान पर नहीं आना चाहते। वे चाहते हैं कि उनसे फोन पर आॅर्डर ले लिया जाए और माल घर पर ही आ जाए, उनकी इस मांग को अाज भी पूरा किया जा रहा है।
समाधान3: अब ज्यादातर आर्डर फोन पर
ज्यादातर आॅर्डर फोन पर ही आ रहे हैं। जिस समय अनलाॅक की शुरुआत हुई थी, उस समय 60 से 70 फीसद अाॅर्डर फेसबुक के जरिए फोन नंबर देखकर दिए जाते थे। दुकान पर सुरक्षा व्यवस्था की जरूरत थी क्योंकि तमाम मौकों पर ग्राहक और उनके मिस्त्री या कारीगर आते भी थे। इसकी वजह से दुकान के बाहर सैनिटाइजर की व्यवस्था कर दी। दुकान के काउंटर से ग्राहक या कामगारों की पर्याप्त दूरी बनी रहे, इसके लिए खुद ही बैरीकेडिंग बनाई। अपने ही सामान में से चीजें लेकर उनसे इतनी दूरी पर रोक लगा दी गई जहां से चार से पांच फीट की दूरी बनी रहे। अभी कोरोना का संक्रमण पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है, इसलिए सैनिटाइजर के साथ बैरीकेडिंग की व्यवस्था अब तक खत्म नहीं की गई है।