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Mahoba Murder Case: इनामी आइपीएस-सिपाही को पकडऩे के लिए दबिश तेज, अफवाह फैलाने वालों पर भी पुलिस की नजर

क्रशर कारोबारी की मौत के मामले में ढाई माह से अधिक बीतने के बाद भी दोनों पकड़ से दूर। पुलिस ने सुराग लगाने के लिए तेज किया नेटवर्क राजस्थान समेत कई जगहों पर छापेमारी। प्रयागराज के एसपी अपराध आशुतोष मिश्रा ने छानबीन की समीक्षा भी की थी।

By ShaswatgEdited By: Published: Mon, 30 Nov 2020 10:37 PM (IST)Updated: Mon, 30 Nov 2020 10:37 PM (IST)
Mahoba Murder Case: इनामी आइपीएस-सिपाही को पकडऩे के लिए दबिश तेज, अफवाह फैलाने वालों पर भी पुलिस की नजर
क्रशर कारोबारी की मौत के मामले से संबंधित सांकेतिक फोटो।

कानपुर, जेएनएन। कानपुर के सीमावर्ती जिले महोबा के बहुचर्चित प्रकरण क्रशर कारोबारी की मौत के मामले में पुलिस ने सतर्कता और भी बढ़ा दी है। भगोड़े और 25-25 हजार रुपये के इनामी घोषित किए गए पूर्व एसपी मणिलाल पाटीदार और सिपाही अरुण यादव की गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने दबिश तेज की है। दोनों पर एक दिन पहले ही रविवार को इनाम रखा गया है। आरोपितों की खोज में पुलिस ने अपना नेटवर्क तेज कर दिया है। राजस्थान समेत अन्य जगहों पर डटी पुलिस टीमें इनामी आइपीएस का सुराग लगाने में जुटी हैं। एसपी महोबा अरुण कुमार श्रीवास्तव के मुताबिक पुलिस टीमें सक्रिय हैं, लगातार दबिश दे रही हैं। 

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मामले में हुई कानूनी कार्रवाई के बारे में अब तक 

आइपीएस मणिलाल और सिपाही अरुण यादव अभी भी पुलिस को लगातार चकमा दे रहे हैं। पुलिस उनका सुराग नहीं लगा पा रही है जबकि आरोपित याचिका लगाकर अपना बचाव करने की कोशिश में पीछे नहीं रहे। पूर्व एसपी ने गिरफ्तारी पर रोक के लिए प्रयागराज उच्च न्यायालय में याचिका डाली थी जो तीन नवंबर को खारिज कर दी गई थी। छह नवंबर को लखनऊ की भ्रष्टाचार निवारण कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की जो 10 व 13 नवंबर को बहस के बाद खारिज कर दी गई। मणिलाल के खिलाफ कुर्की के तहत 82 की भी कार्रवाई का आदेश दिया गया। एसपी महोबा के मुताबिक पूरे मामले की जांच कर रहे प्रयागराज के एसपी अपराध आशुतोष मिश्रा ने पिछले दिनों कबरई थाने में अब तक हुई छानबीन की समीक्षा भी की थी। कुछ लोगों से पूछताछ हुई थी। मणिलाल और अरुण यादव की गिरफ्तारी के लिए पुलिस पूरा प्रयास कर रही है। 

चस्पा किए जाएं भगोड़े आरोपितों के पोस्टर

दिवंगत इंद्रकांत के भाई और वादी रविकांत का कहना है कि इनाम घोषित करके पुलिस ने ठीक काम किया है, मगर भगोड़े आरोपितों के पोस्टर भी अब जगह-जगह चस्पा किए जाने चाहिए। इससे जल्द ही उनको पकड़ा जा सकेगा। जब तक आरोपित गिरफ्त में नहीं आ जाते, तब तक परिवार को भय है। इंद्रकांत की मौत हुए ढाई माह से अधिक समय बीत जाने के बाद भी पुलिस आरोपित पूर्व एसपी को गिरफ्तार नहीं कर सकी। अवैध वसूली का सूत्रधार रहा बर्खास्त सिपाही अरुण यादव को भी नहीं खोज सकी। 

अफवाह फैलाने वालों पर नजर 

एसपी महोबा ने बताया कि इस मामले को लेकर इंटरनेट मीडिया पर अफवाह फैलाने वालों पर भी निगाह रखी जा रही है। ऐसे लोगों को चिह्नित किया जा रहा है। दो लोगों को बुलाकर भविष्य में अफवाह न फैलाने की हिदायत भी दी गई है। बीते शुक्रवार को प्रकरण में जमकर अफवाह फैलाई गई। अधिकारियों को खंडन करना पड़ा।

यह है मामला 

दिवंगत क्रशर कारोबारी ने सात सितंबर को तत्कालीन एसपी मणिलाल पाटीदार व कबरई के तत्कालीन एसओ देवेंद्र शुक्ला पर जबरन वसूली का आरोप लगाया था। उनसे अपनी जान को खतरा बताते हुए आडियो व वीडियो वायरल किए थे। आठ सितंबर को इंद्रकांत अपनी गाड़ी में गोली लगने से घायल मिले थे। 13 सितंबर को उनकी कानपुर के रीजेंसी अस्पताल में मौत हो गई थी। भाई रविकांत त्रिपाठी ने पूर्व एसपी व एसओ सहित चार लोगों के खिलाफ कबरई थाने में मुकदमा कराया था। जांच के दौरान सिपाही अरुण यादव का नाम जोड़ा गया था। 


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