दस साल बाद मिला बूढ़ी आत्मा को सुकून, जानें क्या दर्द मिला था उस दादी को
अक्षत हत्याकांड : रिश्ते का मामा उनके पौत्र को बहाने से अगवा कर ले गया था और कर दी थी हत्या। कोर्ट ने अभियुक्त को उम्रकैद और अर्थदंड की सजा सुनाई।अभियुक्त के चाचा और मामा बरी।
By Edited By: Published: Tue, 25 Sep 2018 01:36 AM (IST)Updated: Tue, 25 Sep 2018 02:09 PM (IST)
कानपुर (जागरण संवाददाता)। दस वर्ष के इंतजार के बाद उस दादी की आत्मा को सुकून मिला जिसने पौत्र को इंसाफ दिलाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। 17 नवंबर 2008 से वह हर एक पल से लड़ रही थीं। मन में सिर्फ न्याय की उम्मीद और आंखों में गम के आंसू लेकर दिन काट रही थीं। आखिर वह दिन आ गया और उन्हें इंसाफ मिल गया।
क्या था मामला
चकेरी के गांधीग्राम निवासिनी शिक्षिका संतोष मिश्रा का सात वर्षीय पोता अक्षत 17 नवंबर 2008 की दोपहर घर पर खेल रहा था। तभी कन्नौज के दुर्जनापुर निवासी रामजी दुबे (रिश्ते का मामा) घर आया। अक्षत की मां रेखा अंदर पानी लेने गईं तभी वह टॉफी दिलाने के बहाने अक्षत को साथ ले गया। उसके वापस न आने पर अक्षत की दादी संतोष मिश्रा ने चकेरी थाने में तहरीर दी थी।
21 दिन बाद हुआ गिरफ्तार
शासकीय अधिवक्ता के मुताबिक पुलिस ने रामजी को मानीमऊ स्टेशन से 8 दिसंबर 2008 को गिरफ्तार किया। पूछताछ में उसने 35 हजार रुपयों के लिए अक्षत की हत्या करना स्वीकार किया। कन्नौज के दुर्जनापुर स्थित गंगा नदी के किनारे से अक्षत की टी-शर्ट, अस्थि पंजर, बाल व रस्सी बरामद कराई।
ट्रेन से कूदकर हो गया था फरार
मई 2013 में जिला कारागार से पुलिस रामजी दुबे को एक मामले में पेशी के लिए कन्नौज ले जा रही थी। रास्ते मे पुलिस कर्मियों को चकमा देकर वह ट्रेन से कूदकर फरार हो गया था। 2016 में उसे कन्नौज पुलिस ने फिर पकड़ा। इस दौरान तीन वर्ष तक मुकदमे में तारीख मिलती रही।
कोर्ट ने अभियुक्त को उम्रकैद की सजा सुनाई
अपर सत्र न्यायाधीश अजय कुमार श्रीवास्तव ने अभियुक्त रामजी दुबे को दोषी करार देते हुए उम्रकैद और 50 हजार रुपये जुर्माने से दंडित किया। वह गिरफ्तारी के बाद से ही जेल में है। शहर में चर्चित रहे इस अपहरण व हत्याकांड मामले में अभियुक्त के दंड के बिंदु पर सहायक शासकीय अधिवक्ता प्रद्युम्न कुमार अवस्थी ने बहस कर मृत्युदंड की मांग की। इस मामले में आरोपित रहे सत्यप्रकाश दुबे और राजीव को न्यायालय ने साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। रिहा होने वाले अभियुक्त के चाचा और मामा हैं।
हत्यारे को मृत्युदंड मिलना चाहिए था
शासकीय अधिवक्ता राजेश्वर तिवारी के मुताबिक मामले की सुनवाई 21 अगस्त को पूरी हो गई थी। मुकदमे में छह गवाहों की गवाही कराई गई। इसमे अक्षत की दादी संतोष मिश्रा, पिता अभिषेक उर्फ गोल्डी और मां रेखा के साथ दो विवेचक और एफआइआर लेखक के बयान हुए। अक्षत की दादी संतोष मिश्रा कहती हैं कि मेरे पौत्र की बेरहमी से हत्या की थी। आज न्यायालय ने उसे सजा दी तो मन को सुकून मिला। हत्यारे को उम्रकैद के बजाय मृत्युदंड मिलना चाहिए था।
किस धारा में मिली कितनी सजा
-अपहरण में उम्रकैद और 20 हजार रुपये जुर्माना
-हत्या में उम्रकैद और 20 हजार रुपये जुर्माना
-साक्ष्य मिटाने में सात वर्ष कैद और दस हजार रुपये जुर्माना
क्या था मामला
चकेरी के गांधीग्राम निवासिनी शिक्षिका संतोष मिश्रा का सात वर्षीय पोता अक्षत 17 नवंबर 2008 की दोपहर घर पर खेल रहा था। तभी कन्नौज के दुर्जनापुर निवासी रामजी दुबे (रिश्ते का मामा) घर आया। अक्षत की मां रेखा अंदर पानी लेने गईं तभी वह टॉफी दिलाने के बहाने अक्षत को साथ ले गया। उसके वापस न आने पर अक्षत की दादी संतोष मिश्रा ने चकेरी थाने में तहरीर दी थी।
21 दिन बाद हुआ गिरफ्तार
शासकीय अधिवक्ता के मुताबिक पुलिस ने रामजी को मानीमऊ स्टेशन से 8 दिसंबर 2008 को गिरफ्तार किया। पूछताछ में उसने 35 हजार रुपयों के लिए अक्षत की हत्या करना स्वीकार किया। कन्नौज के दुर्जनापुर स्थित गंगा नदी के किनारे से अक्षत की टी-शर्ट, अस्थि पंजर, बाल व रस्सी बरामद कराई।
ट्रेन से कूदकर हो गया था फरार
मई 2013 में जिला कारागार से पुलिस रामजी दुबे को एक मामले में पेशी के लिए कन्नौज ले जा रही थी। रास्ते मे पुलिस कर्मियों को चकमा देकर वह ट्रेन से कूदकर फरार हो गया था। 2016 में उसे कन्नौज पुलिस ने फिर पकड़ा। इस दौरान तीन वर्ष तक मुकदमे में तारीख मिलती रही।
कोर्ट ने अभियुक्त को उम्रकैद की सजा सुनाई
अपर सत्र न्यायाधीश अजय कुमार श्रीवास्तव ने अभियुक्त रामजी दुबे को दोषी करार देते हुए उम्रकैद और 50 हजार रुपये जुर्माने से दंडित किया। वह गिरफ्तारी के बाद से ही जेल में है। शहर में चर्चित रहे इस अपहरण व हत्याकांड मामले में अभियुक्त के दंड के बिंदु पर सहायक शासकीय अधिवक्ता प्रद्युम्न कुमार अवस्थी ने बहस कर मृत्युदंड की मांग की। इस मामले में आरोपित रहे सत्यप्रकाश दुबे और राजीव को न्यायालय ने साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। रिहा होने वाले अभियुक्त के चाचा और मामा हैं।
हत्यारे को मृत्युदंड मिलना चाहिए था
शासकीय अधिवक्ता राजेश्वर तिवारी के मुताबिक मामले की सुनवाई 21 अगस्त को पूरी हो गई थी। मुकदमे में छह गवाहों की गवाही कराई गई। इसमे अक्षत की दादी संतोष मिश्रा, पिता अभिषेक उर्फ गोल्डी और मां रेखा के साथ दो विवेचक और एफआइआर लेखक के बयान हुए। अक्षत की दादी संतोष मिश्रा कहती हैं कि मेरे पौत्र की बेरहमी से हत्या की थी। आज न्यायालय ने उसे सजा दी तो मन को सुकून मिला। हत्यारे को उम्रकैद के बजाय मृत्युदंड मिलना चाहिए था।
किस धारा में मिली कितनी सजा
-अपहरण में उम्रकैद और 20 हजार रुपये जुर्माना
-हत्या में उम्रकैद और 20 हजार रुपये जुर्माना
-साक्ष्य मिटाने में सात वर्ष कैद और दस हजार रुपये जुर्माना
Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें