Move to Jagran APP

शहर में दो साल में दो फीसद भी नहीं हुआ मेट्रो प्रोजेक्ट का काम

मेट्रो प्रोजेक्ट वर्ष 2023 तक पूरा करना है।अभी तक यह नहीं तय हो पा रहा है कि पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप या सरकारी माध्यम से मेट्रो का निर्माण कराया जाएगा।

By Edited By: Published: Mon, 24 Sep 2018 01:22 AM (IST)Updated: Mon, 24 Sep 2018 10:35 AM (IST)
शहर में दो साल में दो फीसद भी नहीं हुआ मेट्रो  प्रोजेक्ट का काम
शहर में दो साल में दो फीसद भी नहीं हुआ मेट्रो प्रोजेक्ट का काम
जागरण संवाददाता, कानपुर: दो साल में पूरे मेट्रो प्रोजेक्ट का काम दो फीसद भी पूरा नहीं हो सका जबकि वर्ष 2023 तक इस काम को पूरा करना है। पिछले दो साल से पॉलीटेक्निक में मेट्रो यार्ड बनाने का काम चल रहा है, लेकिन अभी तक 45 फीसद ही काम पूरा हो पाया है। मिंट्टी न मिलने के कारण आधा काम रुका पड़ा है। इसके अलावा आइआइटी से मोतीझील तक मेट्रो के काम के टेंडर पांच माह से फाइलों में बंद हैं।
अभी तक यह नहीं तय हो पा रहा है कि पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप या सरकारी माध्यम से मेट्रो का निर्माण कराया जाएगा। हालांकि प्रोजेक्ट दो बार बदल चुका है। इस दौरान डीपीआर में भी अब तक चार करोड़ से ज्यादा खर्च हो चुका है। चार अक्टूबर 2016 को पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मेट्रो की नींव रखी थी। इसके तहत पॉलिटेक्निक में मेट्रो यार्ड का शिलान्यास किया था। सपा सरकार में 13721 करोड़ का मेट्रो प्रोजेक्ट तैयार हुआ था।
भाजपा सरकार ने फिर प्रोजेक्ट में बदलाव करते हुए पीपीपी मॉडल से बनाने के साथ ही आय के स्त्रोत पर भी जोर दिया गया। इसके आधार पर जनवरी 2018 में 18342 करोड़ रुपये का डीपीआर बना। इसके तहत आइआइटी से मोतीझील तक 734 करोड़ के तहत 25 अप्रैल को टेंडर कराए गए। दो कंपनियों आई, लेकिन पांच माह से फाइल बंद पड़ी है। इसी बीच फिर तय हुआ कि सरकारी माध्यम से मेट्रो का निर्माण कराया जाएगा। इसके चलते अफसर भी फंसे हुए हैं कि कैसे निर्माण होगा।
फिलहाल मेट्रो के लेकर केंद्र व प्रदेश सरकार भी शांत है। अभी तक कोई फैसला नहीं आया है और न ही काम शुरू हो रहा है। लखनऊ मेट्रो कारपोरेशन को निर्माण की अभी फिलहाल जिम्मदारी दी गई है। धन न होने के कारण यार्ड का काम धीमा पड़ा है। लोकसभा 2019 के चुनाव भी करीब आ रहे है। अब देखना यह है कि कब मेट्रो यार्ड से बाहर आती है और मेट््रो की लाइन डालने के लिए कब से काम शुरू होता है।
पॉलीटेक्निक में चल रहे यार्ड का हाल
यार्ड बनना है- 24
बोगी का काम शुरू हुआ- चार अक्टूबर 2016
लागत - 30 करोड़ काम रुका - मिंट्टी के चलते (पौने दो लाख घन वर्गमीटर चाहिए मिंट्टी)
काम अब तक हुआ- 45 फीसद यह
काम रुका- पॉलीटेक्निक भवन हटना और पांच सौ पेड़
इस काम के पड़े टेंडर
योजना- मेट््रो परियोजना
पहले चरण में काम-आइआइटी से मोतीझील तक
काम - एलीवेटेड ट्रैक और नौ स्टेशन
इस काम की लागत- 734 करोड़
टेंडर फॉर्म पड़े थे- 25 अप्रैल 2018
काम का समय - दो साल
इनका कहना है
यार्ड की बाउंड्रीवॉल बनाने का काम चल रहा है। मिंट्टी न होने के कारण काम रुका पड़ा है। - शिवम जौहरी, सहायक अभियंता, मेट्रो

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.