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कानपुर वकील हत्याकांड: बेटी रो-रोकर बोली, जमीन खा गई मेरे पापा को, किसी ने नहीं सुनी फरियाद

वकील की हत्या के बाद रीजेंसी अस्पताल में रो-रोकर बेटी ने पुलिस और प्रशासन पर आरोप लगाए उनका कहना था कि पिता को जमीन संबंधी विवाद के चलते मारवाया गया है। वकील का सौतेले भाइयों से जमीन का विवाद चल रहा था।

By Abhishek VermaEdited By: Published: Thu, 23 Dec 2021 09:21 AM (IST)Updated: Thu, 23 Dec 2021 09:21 AM (IST)
कानपुर वकील हत्याकांड: बेटी रो-रोकर बोली, जमीन खा गई मेरे पापा को, किसी ने नहीं सुनी फरियाद
अधिवक्ता राजा राम वर्मा के स्वजनों से बात करती पुलिस।

कानपुर, जागरण संवाददाता। आइआइटी के पूर्व रजिस्ट्रार और एडवोकेट राजाराम वर्मा की हत्या क्यों हुई, इसे लेकर पुलिस हाथ पांव मार रही है। फिलहाल शुरुआती जांच में पुलिस को जमीन और पारिवारिक विवाद होने की जानकारी मिली है। शहर में भी एक बिल्डर के साथ जो जमीन विवाद हैं, उसमें भी परिवार के लोगों के ही शामिल होने की संभावना जताई जा रही है। फिलहाल पुलिस इन्हीं सभी बिंदुओं को लेकर जांच कर रही है। हालांकि रीजेंसी अस्पताल में बिलख रहे परिवार बार-बार जमीनी विवाद का इशारा कर रहा था और बेटे व बेटी ने आरोप लगाया कि उनके पिता को जमीन संबंधी विवाद के चलते मारवाया गया है। 

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पुलिस ने राजाराम वर्मा के परिवार से लंबी पूछताछ की और पारिवारिक पृष्ठभूमि की जानकारी ली। पूछताछ के मुताबिक राजाराम वर्मा के पिता ने दो शादियां की थी। एक पत्नी से पिता को तीन बेटे हुए, जबकि राजाराम वर्मा अकेले थे। तीनों सौतेले भाइयों से राजाराम का जमीन को लेकर विवाद है। दोनों एक दूसरे पर जमीन हड़पने का आरोप लगाते रहे हैं। पुलिस के सामने स्वजन ने राजबहादुर नाम के व्यक्ति का नाम लिया, जिसे राजाराज का सौतेला भाई बताया जा रहा है। पुलिस को यह भी बताया गया है कि 17 बीघा क्षेत्रफल के एक तालाब की जमीन को लेकर राजाराम का शहर के एक बड़े बिल्डर से विवाद चल रहा था। राजाराम से जुड़े मामलों की जांच कर चुके तत्कालीन जांच अधिकारी प्रभाकांत ने बताया कि अधिवक्ता होने के चलते राजाराम ने बिल्डर की एक भूखंड योजना में कानूनी पेंच फंसाया था। यह भी बताया जा रहा है कि राजाराम के भाइयों की जमीन भी यहां पर थी और उन्होंने बिल्डर के हाथों जमीन बेच दी थी। राजाराम वर्मा के बेटे नरेंद्र ने बताया कि बिल्डर ने वर्ष 2007 में धोखे से जमीन अपने नाम करा ली। पता चलने के बाद के पिता ने दोबारा जमीन अपने नाम करवा ली थी। पापा लगाकर पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों से शिकायत करते रहे, मगर किसी ने उनकी सुनवाई नहीं की। 

नवाबगंज के हिस्ट्रीशीटर रहे हैं राजाराम 

नवाबगंज में प्रापर्टी के विवाद में आइआइटी के पूर्व रजिस्ट्रार व अधिवक्ता राजाराम वर्मा की गोली मारकर हत्या के मामले में सामने आया कि वह नवाबगंज थाने के हिस्ट्रीशीटर थे। उन पर प्रापर्टी विवाद, धोखाधड़ी, हत्या के प्रयास समेत डेढ़ दर्जन से अधिक मुकदमे दर्ज थे।

धोखाधड़ी के बाद बहू संग दुष्कर्म के प्रयास के आरोपों में गये थे जेल

पुलिस सूत्रों ने बताया कि बर्खास्त हुए बेटे की बैंक मैनेजर पत्नी ने राजाराम पर दुष्कर्म के प्रयास का आरोप लगाकर नवाबगंज थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। बेटे की मृत्यु के बाद राजाराम पर अपनी बहू को घर से बाहर करने का आरोप भी लगा था। नौकरी प्रकरण में जेल से छूटने के दो साल बाद नवाबगंज पुलिस ने दोबारा गिरफ्तार बहू की तहरीर पर  जेल भेजा था।

अधिवक्ता नहीं करेंगे न्यायिक कार्य

अधिवक्ता की गोली मारकर हत्या के मामले में विरोध स्वरूप गुरुवार को न्यायिक कार्य न करने का निर्णय लिया गया है। लायर्स एसोशिएशन के अध्यक्ष शैलेंद्र शुक्ला ने बताया कि दोनों संस्थाएं संयुक्त रूप से न्यायिक कार्य नहीं करेंगी। पुलिस से अधिवक्ताओं की मांग है कि जल्द से जल्द आरोपितों की गिरफ्तारी की जाए और मृतक के स्वजन को दस लाख का मुआवजा दिया जाए।

बंद मिला घर में लगा कैमरा

राजाराम वर्मा के घर में सीसीटीवी कैमरे लगे हुए थे। पुलिस ने जब घर में लगे डीवीआर में रिकार्ड खंगाला तो असफलता हाथ लगी। सामने आया कि घर के बाहर जो कैमरा लगा था, वह खराब था। ऐसे में पुलिस क्षेत्र में लगे सीसीटीवी कैमरों से पड़ताल कर रही है। 


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